देहरादून, 03 जुलाई। उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो गई है। खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के नए सीएम बनेंगे। भाजपा  विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगाई गई है। शुक्रवार को इस्तीफा देने वाले तीरथ सिंह रावत ने भाजपा विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर के सामने पुष्कर सिंह धामी के नाम का प्रस्ताव रखा था, इसे मंजूरी दे दी गई। सूत्रों के मुताबिक, पुष्कर सिंह धामी आज ही राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले सकते हैं।

ABVP और भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष रहे धामी, दो बार से खटीमा विधायक

पुष्कर सिंह धामी बीजेपी युवा मोर्चा और ABVP के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। उन्हें आरएसएस का भी करीबी माना जाता है। पुष्कर धामी ऊधम सिंह नगर सीमांत विधानसभा क्षेत्र खटीमा से दो बार विधायक चुने गए हैं, साथ ही धामी राज्य के दूसरे मुख्यमंत्रियों के मुकाबले युवा हैं। पुष्कर सिंह धामी का जन्म 16 सितंबर 1975 को पिथौरागढ के टुण्डी गांव में हुआ था। उनके पिता सैनिक थे। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बीच सरकारी स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ली। तीन बहनों के बाद घर का अकेला बेटा होने की वजह से परिवार की जिम्मेदारियां उन पर हमेशा बनी रही।

मानव संसाधन विकास व औद्योगिक संबंध में स्नातकोत्तर
पुष्कर सिंह धामी ने मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध में मास्टर्स किया है। वे 1990 से 1999 तक ABVP में अलग-अलग पदों पर काम कर चुके हैं। धामी 2002 से 2008 तक युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं। राज्य की भाजपा 2010 से 2012 तक शहरी विकास परिषद के उपाध्यक्ष रहे। वे 2012 में पहली बार विधायक चुने गए थे। उनकी अगुवाई में ही प्रदेश सरकार से स्थानीय युवाओं को राज्य के उद्योगों में 70 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में सफलता प्राप्त की।

धामी को RSS का करीबी माना जाता है। वे महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के भी नजदीकी हैं। पुष्कर सिंह धामी के बारे में राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह एक ऐसा नाम है जो हमेशा विवादों से दूर रहा है। पुष्कर सिंह धामी भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे पर काफी जोरशोर से आवाज उठाते रहे हैं। युवाओं के बीच पुष्कर सिंह धामी की अच्छी पकड़ मानी जाती है।

राजपूत समुदाय से आने वाले धामी राज्य के तेज तर्रार नेताओं में शुमार हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाकर जातीय समीकरण भी साधने की कोशिश की गई है। तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के वक्त भी पुष्कर सिंह धामी का नाम रेस में शामिल रहा था।पुष्कर सिंह धामी राज्य के और मुख्यमंत्रियों के मुकाबले युवा हैं। धामी का युवा होना भी उनके मुख्यमंत्री चुने जाने के पक्ष में गया है।

तीरथ सिंह रावत के बयान रहे विवादों में, चुनावी संभावनाएं भी दिखीं कम
बतौर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का 114 दिन का कार्यकाल उनके विवादित बयानों के लिए ज्यादा जाना जाएगा। फटी जींस से लेकर 20-20 बच्चे वाले उनके बयानों को शायद ही कोई भूला हो। पद संभालते ही भावावेश में तीरथ कुछ का कुछ बोलते रहे। तीरथ सिंह ने त्रिवेंद्र सरकार के गैरसैंण मंडल बनाने के विवादित फैसले को पलटकर कुमायूं मंडल में उपजे विरोध को जरूर शांत किया, लेकिन चारधाम देवस्थानम बोर्ड को खत्म करने की घोषणा तो कर दी, लेकिन अमल नहीं कर सके। इससे ब्राह्मण समुदाय खुद को ठगा सा महसूस करने लगा।

तीरथ सिंह ने त्रिवेंद्र सरकार की तरह सिर्फ खास समुदाय के लिए कुछ किया हो ऐसा तो नहीं हुआ, लेकिन चुनावी साल में वे कुछ भी ऐसा नहीं कर सके, जिससे BJP की संभावनाओं को बल मिलता। प्रदेश में विकास कार्यों की गति तो तीरथ शासन में पहले से भी धीमी हो गई। सीधे-साधे व्यक्तित्व वाले तीरथ कहीं से भी BJP के लिए इलेक्शन मैटेरियल साबित नहीं हो सके। अगर उन्हें उपचुनाव में भी जाना पड़ता तो कोई सीट ऐसी नहीं दिख रही थी, जिस पर तीरथ की जीत की गारंटी हो। यही बात तीरथ के सबसे अधिक खिलाफ गई।

इस तरह हुआ तीरथ सिंह रावत का इस्तीफा

रामनगर में आयोजित भाजपा के तीन दिनी चिंतन शिविर में भाग लेकर मंगलवार शाम को पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत देहरादून पहुंचे थे। बुधवार सुबह वह दिल्ली के लिए रवाना हो गए। देर रात ही उनकी राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात करने की सूचना मिली। इसके साथ ही कई तरह की चर्चाओं ने तेजी से जोर पकड़ा, यह बुलावा भी अचानक आया। बुधवार के उनके कई कार्यक्रम उत्तराखंड में लगे थे, उन्हें छोड़कर सीएम को दिल्ली दरबार में उपस्थित थे। बताया गया कि पार्टी हाईकमान ने उन्हें दिल्ली तलब किया। इस बीच तीरथ सिंह रावत ने उसी रात राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। वह गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले।

शुक्रवार दो जुलाई को उत्तराखंड में उपचुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग को पत्र दिया। हालांकि चुनाव आयोग पहले ही कोविड काल में उपचुनाव कराने से मना कर चुका था। चुनाव आयोग को पत्र देने के बाद सूचना आई कि सांविधानिक संकट का हवाला देकर तीरथ ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस्तीफे की पेशकश की।

इसके बाद शुक्रवार को ही तीरथ सिंह रावत देहरादून पहुंचे और रात करीब 09:50 PM पर उन्होंने सचिवालय में प्रेस कांफ्रेंस कर अपनी उपलब्धियां गिनाई और सरकार के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी। देर रात वह करीब 11:07 PM  पर राजभवन पहुंचे और अपना इस्तीफा प्रस्तुत कर दिया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के कारण सांविधानिक संकट खड़ा हुआ। इसलिए मैने इस्तीफा देना उचित समझा। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व का धन्यवाद दिया।

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