ख़बर ख़बरों की डेस्क, 03 जुलाई। एक धूमकेतु जहां से गुजजरता है, एल्कोहल का फुहारें छोड़ता जाता है। किसी जीवंत ग्रह या सौर-मंडल की गर्मजोशी पाते ही धूमकेतु 46P/Wirtanen ढेर सारी गर्म-गर्म मैथेनॉल की फुहारें छोड़ने लगता है। वैज्ञानिकों ने इसका अध्ययन तब शुरू किया था जब यह विगत नवंबर 2018 में धरती के पास से गुजरा था। हाल ही में उन अध्ययनों के परिणाम सामने आए तो इस धूमकेतु की पूंछ में उम्मीद से बहुत ज्यादा एल्कोहल होने का खुलासा होने पर वैज्ञानिक चौंक गए। वैज्ञानकों को उम्मीद है कि इसके अध्ययन से सौर प्रणालियों के प्रारंभिक रासायनिक संघटन के रहस्य उजागर कर सकता है।  धूमकेतु 46P/Wirtanen में है बहुत ज्याद एल्कोहल, एल्डिहाइड और पानी, खुल सकते हैं सौरमंडल के प्रारंभिक रहस्य….    

अमेरिका के हवाई प्रांत में स्थित WM Keck ऑब्जरवेटरी के वैज्ञानिकों के हालिया खुलासे को मानें तो मानना होगा कि अंतरिक्ष में इस समय कुछ तारे और ग्रह नशे में धुत होंगे, या कहें कि वह एल्कोहल से खुद को सैनिटाइज कर रहे होंगे। वह इसलिए कि उनके पास से एक ऐसा धूमकेतु गुजर रहा है, जो किसी सोलर प्रणाली के पास आते ही भारी मात्रा में उच्च स्तर का गर्मागर्म अल्कोहल छोड़ने लगता है। इतना एल्कोहल कहां से आता है, वैज्ञानिक परेशान हैं क्योंकि कि इसके स्रोत का पता नहीं लगा पा रहे हैं। इस धूमकेतु का नाम है 46पी/वर्टानेन, जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी एप्लाइड फिजिक्स लेबोरेटरी में धूमकेतु विज्ञानी नील डेल रुसो के अनुसार Comet 46P/Wirtanen अब तक का पहला ऐसा खोजा गया धूमकेतु है, जिसमें अल्कोहल और एल्डीहाइड का अनुपात बहुत ज्यादा है। नील डेल रूसो के मुताबिक इससे पता चलता है कि Comet 46P/Wirtanen पर किस तरह से कार्बन, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के कणों का विभाजन हुआ है। कुछ ऐसा ही विभाजन सौर मंडल के निर्माण के समय भी रहा होगा।  

जमे हुए कण पिघले बगैर सीधे बन जाते हैं गैस, इसकी गतिज ऊर्जा से बनती है अनंत ऊष्मा

WM Keck ऑब्जरवेटरी से कुछ विचित्र और हैरान करने वाले डेटा भी मिले हैं। ऑब्सरवेटरी के वैज्ञानिकों के मुताबिक जैसे ही यह धूमकेतू सूरज के करीब से गुजरता है, इसके जमे हुए कण गर्म हो जाते हॆं और उबलने लगते हैं। जबकि, ठोस बर्फ सीधे गैस बन जाती हैं, पिघले (द्रव बने) बगैर। वैज्ञानिक इस प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन (Sublimation) नहीं आउटगैसिंग (Outgassing) कहते हैं। इसमें एक बड़ा गैस का गुबार और धूल निकलता है, जिसे कोमा (Coma) कहते हैं। यह धूमकेतु के केंद्र के चारों तरफ बनता और पीछे की तरफ पूंछ जैसा छूटता जाता है। Comet 46P/Wirtanen के साथ एक और हैरान कर देने वाली प्रक्रिया देखने को मिली, सोलर रेडिएशन के अलावा भी यह धूमकेतु तेजी से गर्म हो रहा है, जिसके स्रोत का पता नहीं चल पा रहा है। सेंट लुईस स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ मिसौरी के डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी की प्रोफेसर एरिका गिब्ब ने इस संबंध में कहा–हमने देखा कि कोमा (Coma) के अंदर पानी, गैस कम हो रहे हैं, लेकिन इसकी गर्मी खत्म नहीं हो रही है। केंद्र से कोमा की गति और दूरी ज्यादा होने के बावजूद भी केंद्र में काफी ज्यादा गर्मी महसूस हो रही है, जिसके सोर्स का पता नहीं चल पा रहा है।

एरिका गिब्ब का अनुमान है कि इसके दो कारण हो सकते हैं। पहली यह कि सूरज की रोशनी में धूमकेतु के केंद्र में कुछ अणु आयोनाइज हो रहे हों, परिणामस्वरूप  उसका घनत्व बढ़ रहा हो और इसी कारण से तेज गति वाले इलेक्ट्रॉन्स निकल रहे हों। जब ये सुपर चार्ज्ड इलेक्ट्रॉन्स किसी दूसरे मॉलिक्यूल से टकराते हैं, तब गतिज ऊर्जा और गर्मी निकलती है। दूसरी संभावना यह है कि Comet 46P/Wirtanen से बर्फ के ठोस हिस्से निकलकर बह रहे हों। आमतौर पर इस तरह के सक्रिय धूमकेतुओं के पीछे पानी गैस के रूप में निकलता है, लेकिन जैसे ही ये गैस किसी ग्रह की सतह पर आती है तो वह वापस तरल रूप में आ जाती है। WM Keck ऑब्जरवेटरी के डेटा के अनुसार Comet 46P/Wirtanen में काफी ज्यादा मात्रा में पानी के कण हैं. इनके कोमा (Coma) में इथेन (Ethane), हाइड्रोजन साइनाइड (Hydrogen Cyanide) और एसिटिलीन (Acetylene) मौजूद है। इसके साथ ही धूमकेतु के केंद्र और कोमा दोनों से अत्यधिक मात्रा में पानी निकलता है।

नासा की मदद से हुआ धूमकेतु 46P/Wirtanen का अध्ययन

यह अध्ययन जमीन पर मौजूद टेलीस्कोप से नहीं हो सकता है, इसके लिए इस धूमकेतु के आसपास गुजरने वाले स्पेसक्राफ्ट से नजर रखी जा सकती है। अमेरिकन यूनिवर्सिटी में फिजिक्स रिसर्च के एसोसिएट प्रोफेसर बोंचो बोनेव कहते हैं कि हमने WM Keck  ऑब्जरवेटरी के नीयर इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोग्राफ (NIRSPEC) की मदद से Comet 46P/Wirtanen का अध्ययन किया है। इससे हमें पता चला कि इस धूमकेतु पर एसीटिलीन, अमोनिया, इथेन, फॉर्मलडिहाइड, हाइड्रोजन साइनाइड, मीथेनॉल और पानी भरपूर मात्रा में हैं। बोंचो बोनेव कहते हैं कि NIRSPEC से 10-20 मिनट देखने के बाद ही हमें यह पता चला गया था कि Comet 46P/Wirtanen अंतरिक्ष में अल्कोहल फैलाते हुए चल रहा है। गौरतलब है कि Comet 46P/Wirtanen के अध्ययन में नासा की मदद बहुत महत्वपूर्ण रही।

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