ग्वालियर, 25 जून। मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय की ग्वालियर खंडपीठ के एक अलग हट कर की गई सुनवाई में एक नारकोटिक्स एक्ट के एक आरोपी की याचिका पर विधिवेत्ताओं की राय मांगी है। राय जानने के लिए कोर्ट के प्रिंसिपल रजिस्टार को निर्देशित किया है कि वह वर्चुअल हियरिंग के बजाय फिजिकल हियरिंग में अधिवक्ताओं की राय जानें। पुलिस पर आरोप, नारकोटिक्स मामले में पूरे परिवार पर झूठा लांछन….

मुरैना जिले के पोरसा कस्बे के कृष्ण बिहारी शर्मा ने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई है कि पुलिस ने उसे नौ क्विंटल गांजा की बरामदगी के मामले में गलत तरीके से फंसाया है। उसका और उसके परिवार का कोई आपराधिक चरित्र नहीं है, किंतु पोरसा की पुलिस ने विगत 14 दिसंबर 2020 को एक ट्रक से नौ क्विंटल गांजा बरामद कर उसके भाई श्याम बिहारी शर्मा को मौके से फरार होना बताया है एवं छोटे भाई बृज बिहारी तथा पिता हरिओम शर्मा को गलत तरीके से आरोपी बना दिया गया है। जबकि, कृष्ण बिहारी उस दिन अपनी रिश्तेदारी में गया हुआ था। पुलिस ने उसके पिता हरिओम शर्मा एवं भाई बृज बिहारी शर्मा को मकान से गिरफ्तार किया। इसकी पड़ोसी के यहां लगे सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्डिंग भी हुई है।

उच्च न्यायालय से मांगा बेगुनाही के सुबूत पेश कर सकने का अधिकार

इस मामले में याचिकाकर्ता कृष्ण बिहारी शर्मा हाई कोर्ट पहुंचा था, उसने कहा कि वह मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपने पक्ष में सबूत पेश नहीं कर सकता है इसलिए माननीय उच्च न्यायालय निचली अदालत को आदेशित करे कि उसकी बेगुनाही के सबूत भी पुलिस की जांच में शामिल किए जाएं। याचिकाकर्ता कृष्ण बिहारी ने बताया कि उसने पुलिस को अपनी बेगुनाही के सबूत और सीसीटीवी फुटेज देने की कोशिश की, किंतु पुलिस उसे अपनी विवेचना में शामिल नहीं कर रही है, और मनमाने तरीके से पूरे परिवार पर गलत आरोप मंढ़ रही है, जबकि उसके परिवार का पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। कृष्णबिहारी की मांग है कि विवेचना सीआईडी अथवा एसआईटी के सुपुर्द की जाए।

उच्च न्यायालय ने कहा–वकील खुद आकर बताएं अपनी विधिक राय

सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय के अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी से इस मामले में उच्चतम न्यायालय के न्यायिक दृष्टांतों को पेश करने को कहा गया जिसमें बताया गया है कि आरोपी दंड विधान प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत अपने पक्ष में सबूत पेश कर सकता है अथवा नहीं। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने इस मामले पर कानून के जानकारों की राय लिए जाने के लिए कहा है। उच्च न्यायालय की युगल पीठ के जस्टिस शील नागू औऱ जस्टिस आनंद पाठक ने प्रशासन को निर्देशित किया है कि राय वर्चुअल नहीं भौतिक रूप से बुला कर पीठ के समक्ष ली जाएगी। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया है कि मामले पर अगली सुनवाई दो अगस्त को होगी।

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