बहादुरगढ़, 17 जून। हरियाणा के बहादुरगढ़ बाईपास पर कसार गांव के पास किसान आंदोलन में गए गांव के ही एक युवक को कैरोसिन उड़ेलकर आग लगा दी गई। गंभीर रूप से झुलसे युवक की कुछ घंटों के उपचार के बाद मौत हो गई। जींद के एक आंदोलनकारी पर तेल छिड़ककर आग लगाने का आरोप है। घटनास्थल पर आरोपी का एक वीडियो भी पुलिस के हाथ लगा है। मृतक के भाई के बयान पर पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। हत्यारोपी अभी फ़रार है। पुलिस का दावा है कि उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

आंदोलन में शहीद होने का नाम देकर कसार निवासी 42 वर्षीय मुकेश पर कैरोसिन डाल कर आग लगा दी गई। इससे पहले उसे शराब भी पिलाई गई। पुलिस को दी शिकायत में गांव कसार निवासी मदन लाल पुत्र जगदीश ने बताया कि उसका भाई मुकेश बुधवार शाम घर से घूमने के लिए निकला था और गांव के साथ ही बैठे किसान आन्दोलनकारियों के पास पहुंच गया। जगदीश के अनुसार फोन से पता चला कि उसके भाई पर आन्दोलनकारियों ने जान से मारने की नीयत से तेल छिड़ककर आग लगा दी है। वह तत्काल गांव के पूर्व सरपंच टोनी को लेकर मौके पर पहुंचा तो देखा भाई मुकेश गंभीर रूप से झुलसा हुआ था। उसे तुरंत सिविल अस्पताल लेकर आए।

उपचार के दौरान मुकेश ने बताया कि आंदोलन में शामिल कृष्ण नाम के एक सफेद कपड़े पहने व्यक्ति ने पहले उसे शराब पिलाई और फिर आग लगा दी, इससे वह बुरी तरह झुलस गया। सिविल अस्पताल में गंभीर रूप से झुलसे मुकेश को चिकित्सकों ने रेफर कर दिया, परिजन उसे ब्रह्मशक्ति संजीवनी अस्पताल लेकर गए जहां उपचार के दौरान रात को ही उसकी मौत हो गई। डीएसपी पवन कुमार ने बताया कि इस संबंध में पहले संदीप और कृष्ण के खिलाफ जान से मारने के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था। मगर मौत होने के बाद हत्या की धारा भी जोड़ दी गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। शव सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद परिजन को सौंप दिया जाएगा।  मुकेश की मौत के बाद उसकी दस साल की एक बेटी अनाथ हो गई है।

आंदोलन स्थल बना अपराधियों का अड्डा, शराबनोशी, बलात्कार से लेकर यहां डकैती और हत्या तक हुईं  

कृषि सुधार कानूनों के विरोध में जारी आंदोलन के बीच टीकरी बार्डर पर नित नए जघन्य अपराध हो रहे हैं। आंदोलन स्थल पर कसार के मुकेश को जलाकर मार डालने से पूर्व भी साढ़े छह महीने में ऐसे-ऐसे अपराध हो चुके हैं, जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। आंदोलन की नेकनीयती के साथ ही यह सवाल भी उठ रहे है कि आखिर आंदोलन के बीच आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए जिम्मेदार कौन है?

  • आंदोलन के बीच बंगाल की युवती से सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने हर किसी को स्तब्ध किया था। अभी तो इस मामले में एक आरोपित ही पकड़ा गया है। बाकी फरार हैं। एसआइटी इसकी जांच कर रही है।
  • इसी आंदोलन में पंजाब के किसान हाकम सिंह की गला रेतकर हत्या की गई थी। इस हत्या में मृतक की भाभी और उसके प्रेमी का हाथ मिला था। अहम बात यह थी कि किसान की हत्या तो कहीं भी हो सकती थी, मगर इसके लिए आंदोलन स्थल को चुना गया। ताकि आंदोलन की आड़ में अपराध को छिपाया जा सके।
  • इसी आंदोलन में बाईपास पर दो किसानों में शराब पीकर झगड़ा हुआ और एक ने दूसरे की हत्या कर डाली। आंदोलन के नाम पर जोड़े गए शराबी और साथी की जान लेने वाले वाकई में किसान हैं या आदतन अपराधी हैं।
  • इसी आंदोलन में पंजाब से तीन युवक पकड़े गए जो किसान बनकर आए थे। दोनें पिस्तौल लेकर रात के समय बाइक पर लूटपाट के लिए निकलते थे और वापस आकर किसान आंदोलन के तंबू में सो जाते थे।

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