
बहादुरगढ़, 17 जून। मौत की देहलीज से जिंदगी के कदम वापस लौट आए। लगता तो यह चमत्कार या फिल्मी पटकथा सा ही है, लेकिन हरियाणा के बहादुरगढ़ में ऐसा वास्तव में हुआ। यहां एक परिवार अपने सात साल के बेटे को अस्पताल से मृत घोषित होने के बाद घर ले आया था। उसके अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थीं, किंतु अचानक चमत्कार हुआ और परिवार की खुशियां वापस लौट आईं। अचानक बच्चे की सांसें वापस लौट आने की घटना अब चर्चा में है। यहां ईश्वर के चमत्कार की चर्चा के साथ ही राजधानी की स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल भी उठ रहा है, आखिर जिस बच्चे में जीवन की उम्मीद बाकी थी उसे मृत घोषित कर कैसे कफन में लपेट दिया। सतयुग में सावित्री और अब कलयुग में बहादुरगढ़ की मां ने यमराज से हठ ठानी, लौटा लाई बेटे की सांसें…..
सतयुग में सावित्री ने पति सत्यवान की सांसे यमराज से हठ ठान कर वापस मांग लीं थी। अब, कलयुग में हरियाणा के बहादुरगढ़ में एक मां के करुण क्रंदन से यमराज भी दहल गए। जाह्नवी के सात वर्षीय बेटे कुणाल को टायफाइड हुआ था। परिजन उसे इलाज के लिए दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में ले आए थे। डॉक्टर्स ने कुणाल को मृत घोषित कर दिया तो ग़मगीन परिजन उसे घर ले आए। अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रहीं थी मां अपने बेटे के सिर को चूमते हुए जार-जार रो रही थी और कह रही थी–उठ जा मेरे बच्चे, उठ जा। तभी उसके शरीर में हरकत होने लगी, और परिजन उसे रोहतक ले भागे। वहां एक अस्पताल में उसका इलाज हुआ और वह ठीक होकर विगत मंगलवार 15 जून को हंसता-खेलता अपने घर लौट आया।
बेटे में सांसे लौटीं तो मुंह से सांसे दे रहे पिता का होठ काटा, रोहतक के अस्पताल से स्वस्थ हो कर लौटा बेटा
हरियाणा के बहादुरगढ़ के हितेश और उनकी पत्नी जाह्नवी ने बताया कि उनके बेटे कुणाल को टाइफाइड हो गया था। स्थानीय अस्पताल से दवा दिलाई, किंतु फायदा नहीं हुआ। कुणाल को दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में 25 मई को भर्ती कराया गया, किंतु यहां भी फायदा तो दूर हालत लगातार बिगड़ती चली गई। आखिर में डाक्टरों ने परिजन को कह दिया कुणाल की सांसे थम गई हैं, उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ेगा, हालांकि कोई उम्मीद नहीं है। गॉमज़दा परिजन कुणाल को मृत मानकर घर ले आए। बहादुरगढ़ में कुणाल का शव रखने के लिए बर्फ और अंतिम संस्कार के लिए नमक बुलवा लिया गया था।
बच्चे के दादा विजय शर्मा ने मोहल्ले वालों को सुबह श्मशान घाट पर पहुंचने के लिए कह दिया था। मातम का माहौल था, बच्चे की मां जाह्नवी और ताई अन्नू रोते हुए मासूम को बार-बार प्यार से हिलाकर उठ जाने के लिए पुकार रही थीं। कुछ देर बाद कफन में पैक शव में हरकत महसूस हुई तो पिता हितेश ने बच्चे का चेहरा चादर की पैकिंग से बाहर निकाला और उसे मुंह से सांस देने लगे। पड़ोसी सुनील ने बच्चे की छाती पर दबाव देना शुरू किया। इस बीच बच्चे ने अपने पापा के होंठ पर दांत गड़ा दिए। परिजन मातम भूल 26 मई की रात बच्चे को रोहतक के एक निजी अस्पताल में ले गए। डॉक्टरों ने कहा कि उसके बचने उम्मीद मात्र 15 प्रतिशत ही है। इलाज शुरू हुआ तो चमत्कारिक रूप से रिकवरी बेहद तेज हुई, और आखिरकार कुणाल स्वस्थ होकर मंगलवार को घर पहुंच गया। अब बच्चे के पिता हितेश अपने होंठ पर बेटे का दिया जख्म दिखाकर खुशी मना रहे हैं। दादा विजय शर्मा इसे ईश्वर का चमत्कार बता रहे हैं, और मां को भरोसा है कि उनकी पुकार से द्रवित हो भगवान ने उनके बेटे में फिर से सांसें डाली हैं। परिवार ही नहीं, पूरे बहादुरगढ़ में खुशियां मनाई जा रही हैं।