भोपाल, 11 अप्रेल। मध्यप्रदेश में राजधानी भोपाल के जयप्रकाश जिला अस्पताल में कोरोना मरीज की मौत पर गुस्साए परिजन के हंगामे और दुर्व्यवहार से व्यथित डॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया। मामला फिर भी तूल पकड़ रहा है। रविवार सुबह परिजन ने सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन किया और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनकी मांग है कि मौत के लिए जिम्मेदार डॉक्टर के विरुद्ध FIR भी दर्ज की जाए। परिजन को आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी की भी मांग की है। डॉ.योगेंद्र श्रीवास्तव के इस्तीफे पर लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ.प्रभुराम चौधरी ने उनसे फोन पर बात की। उनके आग्रह पर डॉ. श्रीवास्तव ने इस्तीफा वापस ले लिया।
रविवार सुबह कोलार तिराहा पर लोगों ने कोरोना से मरे तख्त सिंह का शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया। करीब 20 मिनट तक मौके पर सिर्फ एक पुलिसकर्मी ही पहुंचा था। काफी देर बाद कुछ और पुलिसकर्मी मौके पर आए। उन्होंने परिजनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन तख्त सिंह के रिश्तेदार मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच के साथ दोषी डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए। उनकी मांग है कि तख्तसिंह के तीन बच्चे हैं। उनके परिवार को आर्थिक सहायता देने के साथ परिवार में एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए।
डॉ.प्रभुराम चौधरीः कोरोना से जूझ रहे हैं डॉक्टर, संकटकाल में है उनकी जरूरत
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने कहा कि डॉ. श्रीवास्तव से फोन पर चर्चा की थी। मंत्री ने बताया कि मरीज के परिजनों के बदसलूकी से आहत होकर उन्होंने त्यागपत्र दिया था। मंत्री ने उनसे कहा–कोरोना संकटकाल में डॉक्टरों की सेवाओं की बहुत जरूरत है। मेरा आग्रह है आप त्याग पत्र वापस ले लें। घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।’ इसके बाद डॉ.श्रीवास्तव ने अपना इस्तीफा ले लिया।
डॉक्टर ने बताया–निजी अस्पताल से नाजुक हालत में लाए थे मरीज को
भीम नगर निवासी तख्त सिंह (40) को परिजन सांस लेने में परेशानी होने पर जयप्रकाश अस्पताल लेकर गए थे। तख्त सिंह की कोरोना रिपोर्ट भी निगेटिव आई थी। इससे पहले किसी निजी अस्पताल में इलाजा कराया गया था। शनिवार शाम ऑक्सीजन सेचुरेशन 30 रह जाने पर परिजन उसे जेपी अस्पताल लेकर आए थे। डॉ.श्रावास्तव के मुताबिक परिजन को पहले ही बता दिया गया था कि हालत नाजुक है, बस कोशिश की जा सकती है। हमारी मेहनत के बाद भी दो घंटे बाद मरीज की मौत हो गई थी। परिजनों ने डॉक्टरों पर ऑक्सीजन का मास्क हटाने से मौत का आरोप लगाया था। जबकि जेपी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर योगेन्द्र श्रीवास्तव ने आरोपों को बेबुनियाद बताया। डॉ.श्रीवास्तव ने बताया कि दो घंटे तक खुद उन्होंने इमरजेंसी में मरीज की देखरेख की, लेकिन ऑक्सीजन सेचुरेशन 30 पर बच पाना असंभव था। डॉ.श्रीवास्तव ने अपनी व्यथा जाहिर करते हुए बताया कि उनकी पूरी निष्ठा व मेहनत के बाद भी मरीज के परिजन ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया।