रायपुर, 08 अप्रेल। छत्तीसगढ के जोनागुड़ा में सुरक्षाबलों और नक्सलियों की मुठभेड़ के बाद बंधक बनाए गए CRPF जवान कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक राकेश्वर सिंह इस समय तर्रेम में 168वीं बटालियन के कैंप में है, उनका मेडिकल चेकअप किया जा रहा है। उन्हें कैसे और किसके साथ रिहा किया गया, कितने बजे वह कैंप पहुंचे, इन सभी बातों का अभी कोई ख़ुलासा नहीं किया गया है। यह भी सामने नहीं आया है कि नक्सलियों ने किन शर्तों पर राकेश्वर को रिहा किया है। ज्ञातव्य है कि नक्सलियों के हमले में 23 जवान शहीद हुए थे। नक्सलियों ने भी अपने 5 साथी मारे जाने की बात मानी थी।

माओवादी प्रवक्ता विकल्प ने सोशल-मीडिया पर मंगलवार को प्रेस नोट जारी कर कहा था कि पहले सरकार बातचीत के लिए मध्यस्थों के नाम घोषित करे, इसके बाद वह कोबरा कमांडो को रिहा कर देंगे।

सरकार ने नहीं अब तक नहीं घोषित किए थे मध्यस्थों के नाम
नक्सलियों की मांग के बाद सरकार ने मध्यस्थों के नाम जारी किए या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। इस वजह से यह भी साफ नहीं है कि नक्सलियों की किन मांगों को पूरा कर सरकार ने राकेश्वर सिंह को नक्सलियों के चंगुल से छुड़ाया है।

पत्नी ने कहा धन्यावाद
कोबरा फोर्स के कमांडो राकेश्वर का परिवार जम्मू के नेत्रकोटि गांव में रहता है। वे सुरक्षा बलों के उस अभियान दल में शामिल थे, जो बीजापुर-सुकमा के जंगलों में नक्सलियों के खात्मे के लिए गया था। राकेश्वर 2011 से CRPF में हैं। तीन महीने पहले ही उनकी तैनाती छत्तीसगढ़ में हुई थी। राकेश्वर की सुरक्षित वापसी के लिए उनकी पत्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अपील की थी। उन्होंने कहा था कि गृह मंत्री किसी भी कीमत पर नक्सलियों के चंगुल से उनके पति की रिहाई सुनिश्चित करें। ठीक वैसे ही, जैसे भारतीय वायुसेना के पायलट अभिनंदन को पाकिस्तानी सेना से मुक्त कराया गया था। पति की रिहाई पर पत्नी ने सरकार व नक्सलियों को धन्यवाद कहा है।

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