ग्वालियर, 14 अगस्त। किसी भी वन्य प्राणी उद्यान(ZOO) में ज्यादातर जानवर राष्ट्रीय अभयारण्यों और दूसरे प्रणी उद्यानों से ही विनिमय के माध्यम से लाए जाते हैं। इनमें कई दुर्लभ प्रजातियां भी होती हैं। इसलिए जब यहां प्राकृतिक रूप से कोई जोड़ा अपना परिवार बढ़ाता है तो उसे उपलब्धि मान कर खुशी मनाई जाती है। ऐसी ही खुशी ग्वालियर गांधी प्राणी उद्यान में मनाने का मौका दिया था सिंह जय और परी के जोड़े ने। करीब 28 साल के इंतजार को परी ने बीते वर्ष अगस्त में तीन शावकों को जन्म देकर तोड़ा था। कोरोना के डर से सिमटी थी दुनिया तब जब जय-परी ने बढ़ाया परिवार….
जब देश-दुनिया कोरोना के कहर से अपने घरों में सिमटी थी, शहर के गांधी प्राणी उद्यान में 14 अगस्त 2020 की सुबह सिंह की दहाड़ के साथ तीन नन्हे शावकों की किलकारिया गूंज उठीं। नंदनवन रायपुर से 2012 में ग्वालियर लाए गए एशियाई सिंह जय और कानन पेंडारी बिलासपुर से ग्वालियर आई अब 6 साल की हो चुकी परी ने तीन शावकों को जन्म दिया था। जय-परी के परिवार में शुरू हुई शावकों की अठखेलियों ने 28 साल बाद शहर में सिंह परिवार कुनबा बढ़ाया था। इससे पहले 1992 में शहर में सिंह परिवार में शावकों का जन्म हुआ था।
लंबे इंतजार के बाद हुई तमन्ना पूरी, नाम हुए–इंतजार, तमन्ना और अर्जुन
गांधी प्राणी उद्यान के विशेषज्ञ गौरव परिहार ने जानकारी दी है कि बीते कई वर्षों पहले परी के जवान होते ही 11 साल के जय से उसकी मैटिंग की कोशिशें शुरू कर दी गईं थी। 14 अगस्त को परी ने एक साथ तीन शावकों को जन्म दिया तो जू में खुशियां छा गई थीं। गौरव ने बताया कि कोरोना काल में परी व उसके बच्चों को विशेष निगरानी में रखा गया था। पहली बार मां बनने की वजह से परी बेहद आक्रामक मूड में थी, इसलिए बच्चों को विशेष आइसोलेशन में रखा गया था। परी को चिकन सूप, दूध और उबले अंडों की हलकी खुराक दी गई। जब उसकी आक्रामकता कम हो गई और उसमें मां बनने का अहसास जाग गया तब बच्चों को मां से मिलाया गया था। इसके बाद परी के शावकों का नामकरण हुआ इंतजार, तमन्ना औऱ अर्जुन। इंतजार के बाद जन्म हुआ इसलिए इंतजार, कुनबा और बढ़ाने की उम्मीद जगाने आई मादा शावक का नाम रखा गया तमन्ना और पराक्रमी तेवर दिखाने वाले शावक का नाम रखा गया अर्जुन।
गौरव परिहार ने बताया कि गांधी प्राणी उद्यान में करीब 350 वन्य प्राणी, करीब 200 प्रकार के पक्षी हैं। इनमें लोमड़ी जैसे शर्मीले और लुप्त होते जा रहे जीव भी हैं। प्राणी उद्यान के क्यूरेटर के नाते गौरव की कोशिश रहती है कि इन दुर्लभ प्राणियों का कुनबा बढ़े।