ग्वालियर, 03 मार्च। तहसील के लिपिक ने वसीयत में मिली जमीन के नामांतरण के लिए 20 हजार की रिश्वत मांगी। अभ्यर्थी ने इसकी शिकायत ग्वालियर में लोकायुक्त की टीम को कर दी। जांच में शिकायत की तस्दीक होते ही लोकायुक्त ने आवेदक के साथ मिलकर रिश्वतखोर लिपिक को रंगे हाथों पकड़ने की रणनीति बनाई। लिपिक के ट्रैप में फंसते ही बुधवार को उसके विरुद्ध कार्रवाई की गई।
भिण्ड जिले में मौ तहसील के एक गांव में हरी सिंह राणा की पैतृक कृषि भूमि है। पिता ने वसीयत लिख कर यह भूमि हरी सिंह के नाम कर दी थी, इसका नामांतरण आवेदन मौ तहसील में किया गया था। तहसील में तैनात लिपिक श्रीकृष्ण बोहरे ने इसके लिए 20 हजार रुपए की रिश्वत मांगी, तो हरी सिंह ने इसकी शिकायत लोकायुक्त पुलिस की ग्वालियर टीम को कर दी। शिकायत सही पाई जाने पर लिपिक को ट्रैप करने की योजना बनाई गई। योजना के अनुसार बाबू को देने के लिए ट्रैप पाउडर कोटेड 20 हजार रुपए के नोट शिकायतकर्ता को सौंपे गए। कॉल-रिकार्डिंग ऑन रखते हुए लिपिक से रिश्वत के लिए समय व स्थान नियत किया गया।
लिपिक ट्रैप में फंस गया, उसने पहले तो अपने घर बुलाया, लेकिन बाद में खुद ही फोन कर बताया कि वह बाइक से गिर कर घायल हो गया है, इसलिए ग्वालियर के जीवन-ज्योति नेत्रि चिकित्सालय में इलाज के लिए पहुंचा है, इसलिए रिश्वत की रकम वहीं पहुंचाई जाए। लोकायुक्त के लिए पाउडर कोटेड नोट लेकर शिकायतकर्ता हरी सिंह पहुंचे और लिपिक श्रीकृष्ण बोहरे को पाउडर कोटेड नोट पकड़ा दिए। इशारा पाते ही तत्काल लोकायुक्त की टीम मौके पर पहुंची लिपिक श्रीकृष्ण बोहरे को रंगे हाथों पकड़ लिया।