ग्वालियर, 25 फरवरी। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ ने 12 साल की नाबालिग को गर्भपात की अनुमति दे दी है। पीड़िता की मां ने याचिका दायर कर बच्ची के स्वास्थ्य सहित अन्य कारणों का हवाला देते हुए गर्भपात कराने की अनुमति मांगी थी। याचिका की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के न्यायधीश जीएस अहलूवालिया की पीठ ने  मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर गर्भपात की अनुमति देते हुए सात दिन के भीतर गर्भपात कराने का निर्देश दिया है। बच्चे के जन्म से मां की जान को खतरा और जीवन भर रहेगा कलंक….

न्यायाधीश अहलूवालिया की पीठ ने इस संबंध में फैसला करते हुए कहा-नाबालिग के गर्भ में उस व्यक्ति का शिशु पल रहा है, जिसने उसके साथ दुष्कर्म किया है। यह बच्चा न केवल उसके लिए जीवन पर्यंत सामाजिक कलंक रहेगा, बल्कि उसे जन्म देने में उसकी जान को भी खतरा है।

गुना जिले में धरनावदा निवासी याचिकार्ता के पति की मृत्यु हो चुकी है। वह ठेले पर सब्जी बेचकर परिवार का भरण पोषण करती है। सब्जी बेचकर वह 10 अक्टूबर 2020 को घर लौटी तो उनकी 12 वर्षीय बेटी मौजूद नहीं थी। पड़ोस में पता करने के बाद भी जब कुछ जानकारी नहीं मिली तो मां ने पुलिस थाना धरनावदा में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने 12 जनवरी 2021 को गांव से नाबालिग को बरामद कर लिया, औऱ उसके बयान के आधार पर 27 वर्षीय आरोपी को गिरफ्तार किया था। आरोपी को बाद में जेल भेज दिया गया था।

न्यायालय ने एक सप्ताह में गर्भपात के दिए निर्देश

जांच में नाबालिग पीड़िता गर्भवती पाई गई। इस पर नाबालिग की मां ने 11 फरवरी को उच्च न्यायालय में गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय के आदेश पर आई मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता के गर्भ को 20 सप्ताह होने से पूर्व ही गर्भपात की सलाह दी गई है। न्यायालय ने गुना के CMHO को इसके लिए एक सप्ताह की समयावधि में योग्य चिकित्सा विशेषज्ञों के दिशानिर्देशन में गर्भपात कराने के लिए अधिकृत किया है।

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