मां ने बच्चों से मिलने लगाई थी बंदीप्रत्यक्षाकरण याचिका, बच्चों की खातिर उच्च न्यायालय ने मिलाए दंपत्ति

ग्वालियर, 19 फरवरी। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में एक मां ने अपने बच्चों से मिलने के लिए लगाई गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई में न्यायाधीश ने बच्चों के भविष्य को लेकर सवाल किए तो माता-पिता गिले-शिकवे भुलाकर एक साथ रहने के लिए तैयार हो गए। पति से अनबन के बाद अलग हुई मां चाहती थी बच्चे उसके साथ रहें.

करीब सात साल पहले याचिकाकर्ता की शादी हुई थी। दंपत्ति के छह साल की बेटी और दो साल का बेटा है। पति-पत्नी में छोटे-छोटे मतभेद अनबन का कारण बने और पति बच्चों को लेकर अलग रहने लगा मां मायके चली गई। बच्चों से मिलने मां का हृदय तड़पा, लेकिन पति ने बच्चों से मिलाने से इनकार कर दिया। इस पर पत्नी नें मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई, और पति पर बच्चों को अवैध निरोध में रखने का आरोप लगाया। मां ने दावा किया कि बच्चे छोटे हैं, और उसके साथ ही रहना चाहते हैं।

बच्चे चाह रहे थे मां-पिता दोनों का साथ, न्यायालय ने समझाया तो राजी हुए पति-पत्नी

पुलिस ने बच्चों को न्यायालय में प्रस्तुत किया और उनकी जानने की कोशिश की कि वह किसके साथ रहना चाहते है। सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने भी पति-पत्नी को समझाया कि वे बच्चों के भविष्य को देखते हुए एक साथ रहें। न्यायालय ने मां से सवाल किया कि वह अकेली बच्चों का पालन-पोषण आखिर कैसे करेगी?  याचिकाकर्ता के पास इसका कोई जवाब नहीं था, उसने कहा कि वह अपने मायके वालों की मदद लेकर बच्चों का पालन पोषण कर लेगी। मां-पिता दोनों को भविष्य की ऊंच-नीच समझाई गई तो दोनों ने साथ रहने की स्वीकृति दे दी और खुशी-खुशी बच्चों को साथ लेकर अदालत से विदा हुए।

एडवोकेट अशोक जैन ने बताया कि दरअसल पति-पत्नी करीब एक साल से अलग- अलग रह रहे थे। बच्चों को लेकर मां परेशान थी, वह किसी भी तरह बच्चों को अपने पास बुलाना चाहती थी, लेकिन बच्चे दोनों के ही साथ रहना चाह रहे थे। आखिरकार समझाइश के बाद पति-पत्नी साथ रहने के लिए तैयार हो गए हैं।

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