नई दिल्ली, 30 जनवरी। दिल्ली में इजरायली दूतावास के पास शुक्रवार (जनवरी 29, 2021) की शाम हुए धमाके की तीव्रता कम थी, इसमें कोई हताहत भी नहीं हुआ था, लेकिन जांच एजेंसियां इसे गंभीरता से ले रही हैं। टेलीग्राम मैसेजिंग पर किया गया जैश-उल-हिंद का दावा भी सुर्खियों में आ गया है, जिसमें इस विस्फोट को महज़ शुरुआत कह कर आगे और धमाकों की धमकी दी गई है। हालांकि इज़रायली सूत्रों ने इसके तार ईरान से जुड़े होने की आशंका जताई है। मामले की जांच मे देश की एजेंसियों के अलावा खुद इजरायल की मोसाद भी जुट रही है। देश की एजेंसियों के साथ इजरायली मोसाद भी जुटेगी जांच में…..
दिल्ली में इजरायली दूतावास के पास शुक्रवार को हुए ब्लास्ट की जांच के लिए इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद की टीम दिल्ली आ सकती है। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के स्तर पर हुई बातचीत के बाद इजरायल सरकार ने मोसाद को भेजने का फैसला किया है। एजेंसी के मुताबिक, इजरायल की रक्षा एजेंसियों ने इस हमले के पीछे ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) का हाथ बताया है। दिल्ली में दूतावास के बाहर हुए विस्फोट को गंभीरती से लेते हुए इजरायल ने दुनियाभर में अपने दूतावासों की सुरक्षा बढ़ाने का भी फैसला लिया है। देश में जांच एजेंसियों के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा गारद (NSG) की टीम भी भी ब्लास्ट के तरीकों की जांच कर रही है।
जैश-उल-हिंद का दावा, हमने किया हमला
जैश-उल-हिन्द ने इस धमाके की ज़िम्मेदारी ली है। सूत्रों के मुताबिक़ मैसेजिंग एप टेलीग्राम पर पोस्ट किए गए संदेश में दावा किया गया है कि, “सबसे ताकतवर अल्लाह की रहमत और मदद से, जैश-उल-हिन्द के सैनिकों ने दिल्ली के अति सुरक्षित क्षेत्र में घुसपैठ की और IED हमले को अंजाम दिया। इसके बाद कई प्रमुख शहर निशाने पर होंगे। यह तो बस एक शुरुआत है। इसके ज़रिए हम भारत सरकार द्वारा किए गए अत्याचारों का बदला लेंगे।” हालांकि सुरक्षा एजेंसियां दावे की पुष्टि के लिए जांच में जुटी हैं। दूसरी ओर भारत में इजरायल के राजदूत रोन मल्का ने 2012 में अपने राजनयकि पर हुए हमले के हवाले से इस विस्फोट तार ईरान से जुड़े होने की आशंका जताई है। उनके अनुसार दोनों घटनाओं में संबंध हो सकता है।
भारत-इजरायल कूटनीतिक संबंधों की वर्षगांठ पर हुआ धमाका
दिल्ली में इजराइली दूतावास के पास शुक्रवार शाम करीब 5 बजे ब्लास्ट हुआ। दूतावास की इमारत से करीब 150 मीटर की दूरी पर हुए इस ब्लास्ट में कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन आसपास खड़ी चार से पांच गाड़ियों को नुकसान पहुंचा। इजराइल ने इसे आतंकी हमला करार दिया है। ब्लास्ट को लेकर चिंता इसलिए भी बढ़ गई, क्योंकि शुक्रवार को ही भारत-इजराइल के कूटनीतिक रिश्तों की 29वीं सालगिरह थी।
जिस कैब से उतरे ते संदिग्ध उसके ड्राइवर से पूछताछ
पुलिस ने घटनास्थल के पास लगे सीसीटीवी से दो संदिग्धों की पहचान भी की है। ये कैब से उतरते हुए दिखाई दे रहे हैं। पुलिस ने कैब ड्राइवर से पूछताछ शुरू कर दी है। इसके आधार पर संदिग्धों का स्कैच तैयार किया जा रहा है। पुलिस ने देर रात कई इलाकों में छापेमारी कर दो संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। क्राइम ब्रांच के साथ दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और NIA की टीमों ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है। दिल्ली में रहने वाले सभी ईरानी लोगों की जानकारी जुटाई जा रही है। दिल्ली पुलिस ने सभी होटल की तलाशी भी शुरू कर दी है।
इजरायली राजदूत की कार में 2012 हुआ था विस्फोट
दरअसल 13 फरवरी 2012 को दिल्ली में इजरायली राजनयिक की कार में धमाका किया गया था। दो बाइक सवार हमलावरों ने इजरायली राजनयिक की पत्नी की गाड़ी में बम चिपका दिया था। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को इस धमाके के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
देशभर में हाई अलर्ट
दिल्ली के अति सुरक्षित इलाके में हुए इस ब्लास्ट के बाद देशभर के 63 एयरपोर्ट्स पर हाई-अलर्ट घोषित कर दिया गया है। CISF ने कहा, ’63 एयरपोर्ट्स के साथ महत्वपूर्ण संस्थानों, सरकारी इमारतों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है।’ खुफिया विभाग और क्राइम ब्रांच के अफसरों समेत बम निरोधक दस्ता मौके पर मौजूद है। आसपास के इलाके को सील कर दिया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने घटना की जांच शुरू कर दी है।
विस्फोट-स्थल से अब तक मिला क्या
- फोसिंक टीम की तफ्तीश में सामने आया है कि विस्फोट के लिए अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया गया था।
- मौके से क्राइम ब्रांच की टीम को आधा जला हुआ गुलाबी रंग का दुपट्टा और इजराइली राजदूत के नाम एक लिफाफा मिला है।
- सूत्रों के मुताबिक, इस लिफाफे के अंदर से एक चिट्ठी भी बरामद हुई है, जिसमें लिखा है, ‘यह तो ट्रेलर है’। फोरेंसिक टीम अब फिंगर प्रिंट की जांच कर रही है।
- जांच एजेंसियों ने घटनास्थल से कोल्ड-ड्रिंक कैन के टूटे हुए टुकड़े और बॉल बियरिंग्स बरामद किया है। इन टुकड़ों को जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा गया है। शुरूआती जांच से पता चला है कि कोल्ड-ड्रिंक कैन में विस्फोटक के साथ बॉल बियरिंग्स ठूसी गई थी।
मोसादः दुश्मन की मांद में घुस कर अपराधी का गला दबा देती है
- मोसाद की स्थापना 13 दिसंबर, 1949 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन-गूरियन की सलाह पर की गई थी। वह चाहते थे कि एक केंद्रीय इकाई बनाई जाए जो मौजूदा सिक्योरिटी सेवाओं-सेना के इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट, आंतरिक सुरक्षा सेवा और विदेश के राजनीति विभाग के साथ समन्वय और सहयोग को बढ़ाए। मार्च 1951 में इसे पीएम ऑफिस का हिस्सा बना दिया गया और जवाबदेही प्रधानमंत्री को तय कर दी गई।
- मोसाद का काम है खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, इसके लिए खुफिया ऑपरेशनों को अंजाम देना और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई। देश के किसी भी कानून में इसके उद्देश्य, भूमिकाओं, मिशन, पावर और बजट के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। इसे देश के संवैधानिक कानूनों से बाहर रखा गया है। इसलिए मोसाद को डीप स्टेट कहते हैं। इसके डायरेक्टर की जवाबदेही सीधे तौर पर और सिर्फ देश के प्रधानमंत्री को होती है। इसकी Metsada यूनिट दुश्मनों पर हमले के लिए जिम्मेदार होती है।
साल 1960 में अडोल्फ ईशमन की किडनैपिंग हो या इजरायल के ऐथलीट्स को 1972 म्यूनिक ओलिंपिक में मारे जाने पर घातक प्रतिक्रिया, मोसाद के नाम कई खतरनाक कांड हैं। यहां तक कि 2018 में मोसाद के जासूस न्यूक्लियर आर्काइव को ईरान से अजरबैजान के रास्ते इजरायल ले गए और ईरान की सिक्यॉरिटी सर्विसेज कुछ नहीं कर पाईं।