ग्वालियर, 9 जनवरी। जीवाजी विश्वविद्यालय (JU) में बड़े-बड़े चमत्कार आसानी से हो जाते हैं। एक RTI एक्टिविस्ट की शिकायत पर ख़ुलासा हुआ है 89 दिनों के कार्य दिवस के लिए अस्थाई टाइम कीपर को कथित अंशकालीन डिप्लोमा  पाठ्यक्रम के आधार पर सीधे इंजीनियर पद पर पदोन्नति दे दी गई। जांच का विषय यह भी है कि आखिर बायोलॉजी पासःआउट को कैसे सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा में प्रवेश मिल सकता है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि बीते दो साल से मामले की जांच टाली जा रही है, इसलिए JU के कुलसचिव समेत पूरा प्रशासन संदेह के घेरे में है। शिकायतकर्ता के अनुसार इस नियुक्ति में हुई अनियमितताओं के संबंध में कार्यपरिषद के सदस्य भी निर्लिप्त नहीं हैं।

बायोलॉजी पास-आउट को कैसे मिला सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा

जीवाजी विश्वविद्यालय में इंजीनियर राजेश नायक की नियुक्ति पर RTI एक्टिविस्ट  अशोक गोस्वामी ने सवाल खड़े किए थे। अशोक ने RTI के अधिकार से जानकारी हासिल की। रिपोर्ट मिलने पर अशोक अचंभे में पड़ गए कि आखिर राजेश नायक बायोलॉजी से हायर-सैकेंड्री करने के बाद कैसे सिविल इंजीनियरिंग बन गए। अशोक गोस्वामी ने सावल उठाया कि राजेश नयक को आखिर अंशकालीन डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रवेश ही कैसे मिल गया। ज्ञातव्य है कि बायोलॉजी समूह से हायर-सैकेंड्री करने वाले को सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा में प्रवेश दिया ही नहीं जा सकता है।

शिकायत पर रिटार्ड जज को सौंपी गई थी जांच, 2 साल में भी निष्कर्ष नहीं   RTI एक्टिविस्ट अशोक गोस्वामी को मलाल है कि उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने 2 साल पहले इस मामले की कमेटी बनाकर रिटायर्ड जज को जांच सौंपी थी, लेकिन जांच में अब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है। अशोक के अनुसार राजेश नायक की नियुक्त कुलसचिव डॉ.आनंद मिश्रा के कार्यकाल में हुई थी, और वह फिर से कुलसचिव बन चुके हैं। इस मामले में JU प्रशासन का कहना है कि जांच रिटायर्ड जज कर रहे हैं, उनकी रिपोर्ट आने के बाद ही कार्य परिषद कोई फैसला कर सकेगी।

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