मुंबई, 09 जनवरी। महाराष्ट्र के भंडारा में शुक्रवार-शनिवार की दरम्यानी रात हुए दर्दनाक हादसे में 10 नवजात शिशुओं की मृत्यु हो गई। हादसे के समय नियोनेटर केयर यूनिट में 17 शिशु सो रहे थे, इनमें से मात्र सात ही सुरक्षित बच सके। शिशुओं को बचाने घुसे सुरक्षा कर्मियों ने बताया कि यूनिट में भरे ढुएं की वजह से उनकी भी सांस घुट रही थी, अंदर घुप अंधेरा छाया हुआ था, इसलिए वह बच्चों के बचाने कुछ न कर सके।

महाराष्ट्र के भंडारा जिले के एक अस्पताल की सिक न्यूबॉर्न केयर यूनिट में आग लगने से दस नवजात शिशुओं की मौत हो गई। शिशुओं की उम्र एक महीने से तीन महीने के बीच थी। जिला सिविल सर्जन प्रमोद खांडते ने कहा कि यूनिट में 17 बच्चे थे, जिनमें से सात को बचाया लिया गया। फायर ब्रिगेड ने मौके पर पहुंचकर अस्पताल में लोगों की मदद से बचाव कार्य शुरू किया। भंडारा के जिला कलेक्टर संदीप कदम ने कहा कि रात को करीब डेढ़ से दो बजे के बीच आग लगी मामले में विस्तृत जांच की जाएगी और घटना का कारणों का पता लगाया जाएगा।

उठ रहे हैं अस्पताल प्रशासन औऱ रात्रि कालीन मेडिकल स्टाफ पर प्रश्न

रिपोर्ट्स के अनुसार वार्ड में मौजूद बच्चों का शरीर काला पड़ गया था, इससे जाहिर हो रहा है कि कमरे में काला धुआं काफी लंबे समय से था। इस हादसे से अस्पताल की लापरवाही को लेकर कई प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं। पहला ये कि जब बच्चों के कमरे का दरवाजा खोला गया तो वहां कोई स्टाफ क्यों मौजूद नहीं था। इसके अलावा कुछ परिजनों का आरोप है कि बीते 10 दिनों से उन्हें अपने बच्चे से नहीं मिलने दिया जा रहा था, जबकि नियम कहता है कि बच्चे की मां फीडिंग के लिए वहां जा सकती है। वार्ड में स्मोक डिटेक्टर क्यों नहीं लगा था, अगर ये लगा होता तो इससे जानकारी मिल जाती और बच्चों की जान बच जाती। रात्रिकाली मेडिकल स्टाफ ने क्यों करीब 15-20 मिनिट बाद ही सुरक्षाक्रमियों को आग की सूचना दी।

माताओं ने लगाई करुण गुहार, जी भर कर देख लेने दो दिल के टुकड़े को

इस दर्दनाक घटना से दस माताओं की कोख सूनी हुई है। एक मां रो-रोकर कहती रह गई कि एक बार उसे अपने बच्चे को आखिरी बार देखने दो, एक बार उसे प्यार से गला तो लगाने दो। इस दौरान कई मां-बाप अपने बच्चों को आखिरी बार भी देख नहीं पाए। शनिवार सुबह से परिजन अस्पताल में डॉक्टरों से गुहार लगाए हुए हैं एक बार वो अपने बच्चों को देख लें। 

महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद बताया। वहीं स्वास्थ्य मंत्री मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की। इसके अलावा महाराष्ट्र राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस लापरवाही के पीछे असली दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त से कार्रवाई होनी चाहिए।

3 साल पहले भी आग लगी थी
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि तीन साल पहले भी इसी वार्ड में एक भीषण आग लगी थी। हालांकि, सही समय पर बच्चों को रेस्क्यू कर लिया गया था, जिस वजह से बड़ी दुर्घटना टल गई थी। डिस्ट्रिक्ट जनरल अस्पताल की आरोग्य समिति ने सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद खंडाते को रिपोर्ट भेजी थी। डॉ. खंडाते ने पिछले साल ही महाराष्ट्र के PWD डिपार्टमेंट को रिनोवेशन का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ।

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