भोपाल, 03 जनवरी। मध्यप्रदेश में पत्थरबाजों का नहीं कानून का राज होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन-मंदसौर की घटनाओं पर सख्त तेवर दिखाए हैं। मुख्यमंत्री ने रविवार को संवाद माध्योमों से चर्चा करते हुए घोषणा की है कि सरकार अब पत्थरबाजों और सार्वजनिक व निजी संपत्तियों की तोड़फोड़ करने वालों बख्शेगी नहीं। सरकार इनके विरुद्ध सख्त कानून बनाएगी। कड़ा कानून लाएंगे पत्थरबाजों को छोड़ेंगे नहीं….
लव-जिहाद के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार पत्थरबाजों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में पत्थरबाजी सहन नहीं की जाएगी, इसके साथ ही सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों के विरुद्ध भी कड़ा कानून लाया जाएगा। कानून में ऐसे तत्वों को कड़ी सजा के साथ ही उनकी संपत्तियां राजसात करने का भी प्रावधान होगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि पत्थरबाजी करने वाले समाज के दुश्मन हैं। शनिवार को मुख्यमंत्री ने मंत्रियों व अफसरों की बैठक में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाने के संकेत दिए थे। रविवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की लंच पार्टी के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि केवल पत्थरबाजी नहीं कई बार उत्पाती सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, आग लगा देते हैं। सार्वजनिक संपत्ति के साथ-साथ व्यक्तिगत संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया जाता है। किसी की दुकान में आग लगा दी जाती है, किसी के घर में तोड़फोड़ कर दी जाती है, यह अक्षम्य अपराध है। लोकतंत्र इसकी इजाजत नहीं देता है।
केरल में संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर मिलती है 5 साल की सजा
केरल में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश का मसला काफी उछला था। इसको लेकर राज्य में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें सार्वजनिक और सरकारी संपत्ति का काफी नुकसान पहुंचा। इससे निपटने के लिए केरल सरकार ने कानून लागू किया था। जिसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति किसी विरोध प्रदर्शन में पब्लिक प्रॉपर्टी का नुकसान पहुंचाने का दोषी पाया जाता है तो उसे 5 साल की सजा हो सकती है। इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है। केरल के इस एक्ट के मुताबिक अगर हिंसक विरोध प्रदर्शन में विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ हो या फिर आगजनी हुई हो तो दोषी को 10 साल तक की सजा हो सकती है। ऐसे मामलों में दोषी को तब तक जमानत नहीं मिलने का प्रावधान है, जब तक कि वो नुकसान हुई संपत्ति का 100 प्रतिशत भरपाई नहीं कर देता। जबकि केंद्रीय कानून में इस तरह के मामलों में जमानत के लिए कम से कम नुकसान हुई संपत्ति का 50 प्रतिशत की भरपाई का प्रावधान है। ज्ञातव्य है कि बीते साल उत्तरप्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ऐसी घटनाओं के आरोपियों को पहचान कर उनकी संपत्तियां राजसात की गईं थीं।
केंद्र में है कानून, हो सकती है 10 साल की सजा और जुर्माना
सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण कानून 1984 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसे पांच साल तक की सजा या जुर्माने या फिर दोनों हो सकते हैं। सार्वजनिक संपत्ति के रूप में ऐसे भवन या संपत्ति को माना गया है जिसका उपयोग जल, प्रकाश, शक्ति या ऊर्जा उत्पादन या वितरण में किया जाता है। इसके साथ ही कोई तेल प्रतिष्ठान, सीवेरज, खान या कारखाना या फिर कोई लोक परिवहन या दूरसंचार साधन भी सार्वजनिक संपत्ति में आते हैं। वहीं अग्नि अथवा किसी विस्फोटक पदार्थ से सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को दस साल की सजा और जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है।
नुकसान की पूरी जिम्मेदारी आरोपी की
2007 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति के बढ़ते नुकसान की घटनाओं को देखते हुए स्वतः संज्ञान लिया था। इस कानून को और प्रभावकारी बनाने के लिए दो उच्च स्तरीय समितियां बनाई। 2009 में इन दोनों समितियों की महत्वपूर्ण सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे। सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश में कहा गया है कि सरकारी और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होने पर सारी जिम्मेदारी आरोपी पर होगी।