भोपाल, 03 जनवरी। शिवराज मंत्रिमंडल विसातार का दो महीने का इंतजार रविवार को खत्म हो गया। दोबारा विधायक बनने से पहले 6 अवधि खत्म होने पर गोविंद सिंह राजपूत औऱ तुलसी सिलावट को शिवराज मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। लंबी जद्दोज़हद के बाद अंततः गोविंद सिंह राजपूत औऱ तुलसी सिलावट फिर से शिवराज के मंत्रियों के कुनबे में शामिल हो गए। राजभवन में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत मंत्री पद की शपथ दिलाई। शपथ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा, गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस राजभवन में मौजूद रहे। ज्ञातव्य है कि कैबिनेट में अब भी 4 पद खाली बचे हैं।

उपचुनाव के 10 नवंबर को परिणाम आने के बाद से शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार किया जा रहा था। इसे लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया की चार दौर की बैठकें हुई। सूत्रों के अनुसार 01 जनवरी को राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से मंत्रिमंडल विस्तार की अनुमति दे दी गई थी, इसके बाद कार्यक्रम तय किया गया।

विभाग वही जो पहले थे

शिवराज सरकार सत्ता में आने के बाद सिलावट और राजपूत को जो विभाग सौंपे गए थे, उन्हीं विभागों की जिम्मेदारी उन्हें दोबारा सौंपी जाएगी। देर इसी बात को लेकर हुई कि भाजपा इन दोनों को दूसरे विभाग देना चाहती थी, लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व और सिंधिया के बीच हुई सहमति के बाद एक बार फिर तुलसी सिलावट को जल संसाधन और गोविंद सिंह राजपूत को परिवहन व राजस्व विभाग मिलना तय है।

3 मंत्री हार गए थे उप चुनाव

शिवराज कैबिनेट के 14 सदस्‍यों गोविंद सिंह राजपूत, तुलसीराम सिलावट, इमरती देवी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, डॉ.प्रभुराम चौधरी, बिसाहूलाल सिंह, एदल सिंह कंषाना, हरदीप सिंह डंग, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, बृजेंद्र सिंह यादव, गिर्राज दंडौतिया, सुरेश धाकड़ और ओपीएस भदौरिया ने चुनाव लड़ा था। इसमें से इमरती देवी, एदल सिंह कंषाना और गिर्राज दंडोतिया चुनाव हार गए थे।

पार्षद से शुरू हुआ था सिलावट का सफर

सांवेर विधायक तुलसी सिलावट 1977 से 1979 तक इंदौर के शासकीय आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज तथा 1980-81 में देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। सिलावट 1982 में इंदौर में पार्षद बने। पहली बार विधानसभा का चुनाव उन्होंने 1985 में जीता। इसके बाद 2007, 2008, 2018 में भी विधायक बने। सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 10 मार्च 2020 को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे। शिवराज सरकार में उन्हें जल संसाधन और मछुआ कल्याण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद हुए उपचुनाव में जीतकर वे 5वीं बार विधायक बने।

गोविंद सिंह राजपूत

युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे गोविंद सिंह राजपूत 4 बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। सुरखी विधायक गोविंद सिंह राजपूत 2002 से 2020 तक प्रदेश कांग्रेस के महासचिव और उपाध्यक्ष भी रहे। उन्होंने 2003 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। 2008 में दूसरी बार विधायक बने लेकिन 2013 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2018 में फिर विधायक चुने गए। कमलनाथ सरकार में मंत्री बने। 10 मार्च 2020 को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए। शिवराज सरकार में मंत्री बनाए गए। राजपूत उन पांच मंत्रियों में शामिल थे, जिन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट में शामिल किया था। 6 महीने की समयसीमा खत्म होने के कारण उन्हें 20 अक्टूबर को मंत्री पद छोड़ना पड़ा। राजपूत ने उपचुनाव में कांग्रेस की पारुल साहू को हराया और चौथी बार सागर के सुरखी से विधायक बने।

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