सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही आदेश में हुई गलतियों को सुधारा, बदला फैसला
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जजों से भी गलतियां हो सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक साल पुराने आदेश में हुई गलतियों को सुधारा है और साफ किया कि कोर्ट को अपनी गुलतियों को स्वीकार कर उन्हें सुधारने में हिचकना नहीं चाहिए, चाहे मामला बंद हो चुका हो। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस और उसके अधिकारियों को अंतरिम सुरक्षा देने से संबंधित एक मामले में की, जहां ईडी को सुने बिना ही कार्यवाही पर रोक लगा दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस अरविंद कुमार शामिल थे ने इस मामले में कहा कि उसके आदेश में कुछ गलतियां थीं जिसे अब सुधारा गया है। कोर्ट ने माना कि पिछले साल दिए गए आदेश में ईडी को सुनवाई का मौका दिए बिना ही कार्यवाही रोक दी गई थी, जो एक गलती थी। इसके साथ ही, बेंच ने एक और गलती को भी सुधारते हुए कहा कि अंतरिम सुरक्षा तब तक बनी रहेगी जब तक पक्षकार हाईकोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटा लेते और उसके बाद इस पर फैसला लेना हाईकोर्ट का काम होगा।
कोर्ट ने साफ किया कि यह सामान्य प्रक्रिया है कि जब किसी पक्ष को हाईकोर्ट में अपना मामला उठाने की इजाजत दी जाती है, तो सुप्रीम कोर्ट सभी मुद्दों को हाईकोर्ट पर छोड़ देता है, ताकि पक्षकार वहां अपनी शिकायतें उठा सकें। बेंच ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट अंतिम उपाय वाला कोर्ट होता है और उसे अपने आदेशों में किसी भी गलती को स्वीकार करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
इस फैसले ने यह भी साफ कर दिया कि न्यायिक पदानुक्रम के उच्चतम स्तर पर बैठे जजों पर भी यह सिद्धांत लागू होता है कि लेकिन कोई गलती हो जाती है, तो उसे सुधारा जाना चाहिए। ईडी की याचिका को स्वीकार करते हुए, कोर्ट ने पिछले साल 4 जुलाई को पारित आदेश के उस हिस्से को वापस ले लिया जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग का जिक्र था। यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देता है, और यह संदेश देता है कि अदालतें भी अपने आदेशों की समीक्षा और सुधार के लिए तैयार हैं।