नई दिल्ली। एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर लंबे समय से चर्चा होती आ रही है। लेकिन इस बार केंद्र की एनडीए सरकार ने तय कर लिया है कि वर्तमान सरकार का कार्यकाल पूरा हो इससे पहले एक राष्ट्र एक चुनाव लागू करना है। यानी 2029 से पहले ये व्यवस्था लागू हो जाएगी। उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि इसके लिए प्राथमिक तौर पर तैयारियां शुरु हो गईं हैं और यह भी माना जा रहा है कि सरकार को अपने सहयोगियों के समर्थन से इस सुधार के लिए पर्याप्त समर्थन मिलने की उम्मीद है। भारत 1881 से हर दशक में जनगणना करता आ रहा है। इस दशक की जनगणना का पहला चरण 1 अप्रैल, 2020 को शुरू होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। इस पर भी काम चल रहा है। जल्द से जल्द इस काम को पूरा करना होता ताकि एक राष्ट्र एक चुनाव की नीति को आसानी से तैयार किया जा सके।इस साल की शुरुआत में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाले पैनल द्वारा एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद एक राष्ट्र, एक चुनाव की प्रक्रिया जोर पकड़ रही है। पैनल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को र‍िपोर्ट प्रस्तुत किया और लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की अवधारणा का जोरदार समर्थन किया। रविवार को शीर्ष सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया कि सरकार ने जनगणना की तैयारी भी शुरू कर दी है, लेकिन सर्वेक्षण में जाति कॉलम को शामिल करने के बारे में अभी तक निर्णय नहीं लिया गया है।एक राष्ट्र, एक चुनाव के समर्थकों का तर्क है कि इससे शासन व्यवस्था प्रभावशाली होगी। इस साल अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में पीएम मोदी ने राजनीतिक दलों से इस पहल का समर्थन करने के लिए एकजुट होने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा क‍ि लगातार चुनाव से व‍िकास कार्य प्रभाव‍ित होते हैं। एक साथ चुनाव की अवधारणा भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में एक प्रमुख संकल्‍प था।

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