नई दिल्ली : भारत में वजन घटाने वाले अमेरिकी इंजेक्शन को मंजूरी मिल गई है। इस इंजेक्शन में तिर्जेपेटाइड ड्रग यूज किया गया है। अमेरिकी कंपनी एली लिली के बनाए गए माउंजारो नाम का यह इंजेक्शन अगले कुछ महीनों में भारतीय बाजार में आ सकता है।

यह इंजेक्शन टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए बनाया गया है और यह वेट लॉस में असरदार हो रहा है। जानकारों की मानें तो यह वेट लॉस इंजेक्शन बैरिएट्रिक सर्जरी का विकल्प हो सकता है। वजन घटाने के लिए जो सर्जरी की जाती है, उसे बैरिएट्रिक सर्जरी कहा जाता है। वजन घटाने वाले इस अमेरिकी इंजेक्शन को भारत में सीडीएससीओ की मंजूरी मिल गई है। संभावना है कि जल्द ही ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से भी मंजूरी मिल जाएगी। उम्मीद है कि अगले पांच-छह महीने में वजन घटाने वाले इंजेक्शन मेडिकल स्टोर्स में उपलब्ध होंगे। बताया जा रहा है कि यह इंजेक्शन दिसंबर-2024 से पहले भारत में उपलब्ध हो जाएगा। अब सवाल है कि यह इंजेक्शन कौन लगवा सकता है? मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो डॉक्टर की सलाह के बिना लोग यह इंजेक्शन नहीं लगवा पाएंगे। सीडीएससीओ के पैनल ने डॉक्टर्स को बेहद सोच-समझकर यह इंजेक्शन लिखने की सलाह दी है।

पैनल ने कहा कि यह इंजेक्शन उन लोगों को नहीं दिया जा सकता है, जिन्हें पहले पैंक्रियाज की बीमारी, थायरायड, मतली, उल्टी आदि की परेशानी है। अगर कोई डॉक्टर इस दवा को लिखता है उसे मरीज को एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट लेने की भी सलाह देनी होगी। जब डॉक्टर को लगे कि वजन के कारण बीमारियां बढ़ रही है, तभी वह इसे लिख सकते हैं। बता दें कि भारतीय बाजार में बिक्री के लिए किसी भी दवा या इंजेक्शन को दो संस्थाओं की मंजूरी की जरूरत होती है। पहली केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की और दूसरी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की मंजूरी लेनी पड़ती है।

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