देहरादून। लिनचोली के समीप जंगलचट्टी में बादल फटने से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल रास्ते पर भारी बारिश के बाद भीमबली में 20-25 मीटर का मार्ग बह गया तथा पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर आ गए। इसके बाद रामबाड़ा, भीमबली लिनचोली का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया। बादल फटने से केदारनाथ यात्रा रूट पर 30 मीटर की सड़क मंदाकिनी नदी में समा गई है।भारी बारिश के बाद केदारनाथ यात्रा रोक दी गई है और बड़ी संख्या में ज्यादा लोग फंसे हैं। रात के समय भी रेस्क्यू अभियान रहा जारी रहा और एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ ने मिलकर रेस्क्यू अभियान चलाया। अभी तक हेलिकॉप्टर और पैदल चलाए गए रेस्क्यू अभियान में 4000 से अधिक भक्तों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। आज धाम में फंसे लगभग 1000 लोगों को हेलिकॉप्टर से निकाला जाएगा। पैदल मार्ग पर सुबह से रेस्क्यू अभियान फिर शुरू हो गया है। भीमबली और लिनचोली से भी यात्रियों को एयर लिफ्ट करना शुरू कर दिया गया है। वहीं मैनुअल रेस्क्यू भी लगातार जारी है। देर रात तक पैदल मार्ग से सोन प्रयाग पहुंचने वाले यात्रियों को सुरक्षित सोन प्रयाग बाजार तक पहुंचाया गया।

टिहरी से लेकर केदारनाथ तक हर जगह तबाही के निशान देखे जा सकते हैं। राज्य के विभिन्न स्थानों पर पिछले दो दिनों में बारिश संबंधी घटनाओं में 14 लोगों की मौत हो गयी और 10 अन्य घायल हो गए, टिहरी के जिस नौताड़ इलाके और केदारनाथ में भी बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है। फंसे हुए लोगों को लाने के लिए लगातार वायु सेना का भी सहारा लिया जा रहा है। एयर लिफ्ट में तेजी लाने के लिए वायु सेना का चिनूक एवं एमआई 17 हेलिकॉप्टर भी शुक्रवार सुबह गौचर पहुंच गए हैं। एमआई 17 ने एक चक्कर लगाकर 10 लोगों को रेस्क्यू कर गौचर पहुंचा दिया है। वायुसेना ने बयान जारी करते हुए कहा, भारतीय वायुसेना ने केदारनाथ से बचाव अभियान शुरू किया है। एमआई 17 वी 5 और चिनूक के जरिए भारतीय वायुसेना ने केदारनाथ में बचाव अभियान शुरू किया है। दोनो हेलिकॉप्टर के साथ एनडीआरएफ की टीमों को बचाव स्थलों पर ले जाया गया। आगे की कार्रवाई के लिए भारतीय वायुसेना के और उपकरण स्टैंडबाय पर हैं।

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, केदारघाटी में बुधवार रात्रि को हुई अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर स्थानीय लोगों एवं विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालुओं से भेंट कर उनका कुशलक्षेम जाना। इस दौरान जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग को क्षतिग्रस्त सड़कों और पैदल मार्गों के सुधारीकरण का कार्य तेजी से किए जाने एवं संवेदनशील स्थानों से लोगों को जल्द सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के निर्देश दिए।उन्होंने सचिव से यह भी कहा कि अतिवृष्टि के कारण राहत एवं बचाव कार्यों के लिए जिलाधिकारियों द्वारा किसी भी प्रकार की सहायता मांगे जाने पर उन्हें तुरंत उपलब्ध करायी जाए।

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