वायनाड। वायनाड में हुए भूस्खलन हादसे में अब तक 308 लोगों की मौत हो चुकी है। रेस्क्यू ऑपरेशन में गांव और जंगलों से लाशे मिल रहीं हैं। यहां युद्ध स्तर पर राहत एवं बचाव कर चल रहा है। रेस्क्यू में जुटे बचावकर्मियों को अब तक 195 शव ही मिले हैं। बाकी, लोगों की मौत की पुष्टि उनके बॉडी पार्ट्स से की गई है। यानी 105 लोगों के शव का कोई ना कोई हिस्सा बरामद हुआ है, जिससे उनकी मौत कंफर्म हुई है।

सेना ने हादसे के बाद जो बेली ब्रिज बनाया है, इससे 25 एंबुलेंस मुंडकई पहुंचाई जाएंगी। मिट्टी में दबे शवों का पता लगाने के लिए दिल्ली से ड्रोन आधारित रडार शनिवार को आने वाला है। तलाशी अभियान में 6 कुत्तों की भी मदद ली जा रही है। आज तमिलनाडु से 4 और कुत्ते लाए जाएंगे। 40 टीमें लोगों के रेस्क्यू में जुटे हुए हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन को प्रभावी बनाने के लिए सर्च क्षेत्र को 6 अलग-अलग भागों में बांटने की बात चल रही है। इनमें से पहला क्षेत्र अट्टामाला और आरणमाला से बना है। दूसरा क्षेत्र मुंडकई, तीसरा क्षेत्र पुंजरीमट्टम, चौथा क्षेत्र वेल्लरमाला विलेज रोड, पांचवां क्षेत्र जीवीएचएसएस वेल्लरमाला और छठा इलाका नदी का बहाव क्षेत्र है। हर टीम के साथ तीन स्थानीय लोग और एक वन विभाग का कर्मचारी भी शामिल किया जाएगा। इसके अलावा चलियार नदी के आसपास के 8 पुलिस स्टेशनों के पुलिसवाले और तैराकी में माहिर लोग भी खोज करने जा रहे हैं। इसके अलावा हेलिकॉप्टर के जरिए भी सर्च ऑपरेशन चलाया जा जा रहा है। तटरक्षक और नौसेना के साथ वन विभाग के कर्मचारी उन जगहों पर भी खोज करने जा रहे हैं, जहां शवों के बहकर आने की संभावना है। बता दें कि वायनाड में पहली लैंडस्लाइड 30 जुलाई की सुबह तड़के करीब 2 बजे हुई। इसके बाद सुबह करीब 4.10 बजे फिर एक बार लैंडस्लाइड हुई। इसके साथ ही तीसरी बार फिर लैंडस्लाइड हुई। लैंडस्लाइड में वायनाड के 4 गांव मलबे के ढेर में तब्दील हो गए, जिनमें से लोगों को निकालने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। रेस्क्यू ऑपरेशन की प्रगति के साथ मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है।

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