– ठेकेदार की शिकायत पर लोकायुक्त टीम भोपाल की छापामार कार्रवाई से मचा हड़कंप, होंगे नए खुलासे…..
नर्मदापुरम । संभाग मुख्यालय नर्मदापुरम में करीब डेढ़ वर्षो से पदस्थ लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री आरसी तिरोले को उनके सरकारी आवास से रविवार शाम को लोकायुक्त टीम भोपाल द्वारा ठेकेदार की शिकायत पर 10 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है। लोकायुक्त की छापामार कार्यवाही के बाद पीडब्लूडी विभाग में पर हड़कंप मच गया है। आश्चर्य का विषय है कि लोक निर्माण विभाग का संभाग अधिकारी अपने ही घर पर रिश्वत का खुला खेल खेलता रहा और ठेकेदार परेशान और प्रताड़ित होकर अधिकारी की मनमानी के आगे झुके रहे। इसके बावजूद अत्यधिक परेशान और मजबूर होकर बैतूल के एक ठेकेदार ने अंतत लोकायुक्त की शरण लेकर पूरे रिश्वत के खेल का खुलासा करते हुए अधिकारी का चेहरा बेनकाब कर दिया। लोकायुक्त की छापामार कार्रवाई के बाद अब विभाग में खासा हड़कंप मच गया है और अंदरूनी मामले सामने आने लगे हैं कि पकड़ा गया अधीक्षण यंत्री अपनी एक टीम बनाकर कैसे ठेकेदार को प्रताड़ित करता था ?और उनसे कैसे वसूली का खुला खेल खेलता था? सूत्र बताते हैं कि इस पूरे खेल में एक सेवानिवृत बाबू सहित कुछ अन्य नाम भी सामने आ रहे है। इस मामले में लोकायुक्त एसपी मनु व्यास ने बताया कि डीएसपी अनिल बाजपेई के नेतृत्व में टीम कारवाही कर रही है और वर्तमान में जांच जारी है। डीएसपी श्री वाजपेई ने बताया कि शनिवार
27 जुलाई को आवेदक द्वारा पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त को शिकायत किया कि उनके फर्म द्वारा मुलताई एवं भैंसदेही मैं आठ सड़कों का निर्माण कराया था। जिसमें शेष कार्य के एक्सटेंशन के लिए प्रकरण एसई नर्मदापुरम डिविजन पीडब्ल्यूडी आरसी तिरोले के पास लंबित है। जिसके निराकरण के लिए श्री तिरोले द्वारा 20 लाख रुपए की रिश्वत राशि की मांग की जा रही है। पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त कार्यालय भोपाल द्वारा शिकायत का सत्यापन कराया गया। रविवार 28 जुलाई को श्री तिरोले अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण विभाग नर्मदापुरम डिविजन को आवेदक से 10 लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते हुए उनके सरकारी आवास पर रंगे हाथों पकड़ा गया हैं। अभी जांच और कारवाही जारी है।टीम का नेतृत्व डीएसपी अनिल बाजपेई द्वारा किया जा रहा है। टीम में डीएसपी संजय शुक्ला, निरीक्षक नीलम पटवा, निरीक्षक उमा कुशवाहा, प्रधान आरक्षक बृज बिहारी, पांडे आरक्षक राजेंद्र, पवन, आरक्षक मनमोहन साहू शामिल है। ट्रैप कार्यवाही समाचार लिखे जाने तक जारी रही। दूसरी तरफ कार्यवाही के दौरान लोकायुक्त पुलिस टीम को सिटी पुलिस द्वारा नोट गिरने की मशीन भी उपलब्ध कराई गई। सूत्र बताते हैं कि ठेकेदारों से वसूली फर्जी एक्सटेंशन बनाकर की जा रही थी। लोकायुक्त की छापामार कार्यवाही के बाद अब यह बात भी सामने आ रही है कि विभाग में किस तरीके से भ्रष्टाचार का खेल चल रहा था? जिसकी परत दर परत अब जल्द सामने आएंगी।