वॉशिंगटन। बीते रोज अमेरिकी सीनेट में लाए गए विधेयक में कहा गया है कि भारत की सुरक्षा के लिए अमेरिका को तत्पर रहने की जरुरत है। पाकिस्तान से आ रहा आतंकवाद और चीन से जुड़े सीमा विवाद जैसे मुददों पर भारत का सहयोग करना चाहिए। साथ ही प्रस्तावित विधेयक में ये भी कहा गया है कि अमेरिकी सरकार को भारत के साथ ठीक वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा कि वह अपने शीर्ष सहयोगियों के साथ करता है। जिस तरह अमेरिका नाटो के सहयोगियों के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और उनकी संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं ठीक वैसे ही हमें भारत के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

विधेयक को प्रस्तुत करने के बाद रुबियो ने कहा,कम्युनिस्ट चीन लगातार अपनी विस्तारवादी नीति से इंडो पैसेफिक में अपनी सीमाओं का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है। इस क्षेत्र में चीन की इन हरकतों को सुधारने के लिए हमें भारत के साथ-साथ अपने सभी सहयोगियों की हरसंभव मदद करने की जरूरत है।

रुबियो द्वारा लाया गया यह बिल भारत और अमेरिका के रिश्तों को आगे बढ़ाने में भूमिका निभा सकता है लेकिन इस समय अमेरिका में चुनावी महौल है। समय की कमी और कांग्रेस के आपसी विभाजन के कारण इस विधेयक के आगे बढ़ने की संभावना न के बराबर है। लेकिन इस बात से यह साफ है कि अमेरिका की दोनों पार्टियां भारत के साथ रिश्तों को मजबूत करने को महत्व देती हैं। ऐसे में इस बिल को अगली कांग्रेस में फिर से पेश किया जा सकता है। विधेयक में कहा गया कि कम्युनिस्ट चीन का मुकाबला करने के लिए भारत और अमेरिका की साझेदारी महत्वपूर्ण है। ऐसे में हमें अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए नई दिल्ली के साथ अपने रणनीतिक, राजनयिक, आर्थिक और सैन्य संबंधों को बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही इस विधेयक के अनुसार, अमेरिका भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए बढ़ते खतरों के जवाब में उसका समर्थन करेगा। और भारत के विरोधियों को रोकने के लिए भारत की हर संभव मदद भी करेगा इसके साथ ही वह अमेरिका रक्षा,नागरिक अंतरिक्ष के संबंध में भारत के साथ सहयोग करेगा।

पाकिस्तान को इस मामले में दो टूक कह देंगे कि यदि वह भारत के खिलाफ किसी भी तरह के आतंक में शामिल होता है तो उसको मिल रही तमाम सहायता और सुरक्षा को तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाएगा। यह पहली बार है जब अमेरिकी कांग्रेस में इस तरीके का भारत-केंद्रित विधेयक पेश किया गया हो, जिसमें भारत को अपने नाटो सहयोगी के स्थान पर रखने और काट्सा प्रतिबंधों से छूट देने और भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने पर पाकिस्तान पर प्रतिबंध की बात कही गई हो।

इस कानून के पारित होने के बाद, यह भारत को रूसी सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए सीएएटीएसए प्रतिबंधों से एक सीमित छूट प्रदान करेगा जो वर्तमान में भारतीय सेना द्वारा उपयोग किए जाते हैं। इसके साथ ही कांग्रेस जल्दी से जल्दी भारत की जरूरतों के हिसाब से सैन्य हथियार और सेवाओं को तैयार करने में और उनकों भारत तक पहुंचाने में अपनी भूमिका को निभाएगा। विधेयक के अनुसार यह अमेरिका के हित में हैं कि भारत के पास खतरों को रोकने की आवश्यक क्षमताएं हों। इस लिए भारत के साथ भी नाटो सहयोगियों जैसा व्यवहार करना चाहिए, जिसमें साथी देशों को हथियारों के साथ-साथ टेक्नोलॉजी भी प्रदान की जाती है। भारत के साथ एक समझौता किया जाए और उसे दो वर्षों के लिए अतिरिक्त सैन्य सामग्री देना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *