टोक्यो । जापान में एक बार फिर कोरोना के बढ़ते केस ने लोगों को डरा दिया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जापान एक नए और अत्याधिक संक्रामक कोरोनावायरस वैरिएंट से जूझ रहा है। जो देश में कोविड-19 संक्रमण की 11वीं लहर को हवा दे रहा है। जापान संक्रामक रोग एसोसिएशन के अध्यक्ष काजुहिरो टेटेडा के अनुसार जापान में कपी 3 वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। यहां तक कि उन लोगों में भी जो वैक्सीन लगवा चुके हैं या पिछले संक्रमण से ठीक हो चुके हैं। उन्होंने ने बताया कि दुर्भाग्य से, वायरस हर बार अलग रूप में बदलने पर अधिक खतरनाक और प्रतिरोधी बन जाती है। वैक्सीनेशन के बाद लोग अपनी इम्यूनिटी बहुत जल्दी खो देते हैं, इसलिए उनमें वायरस के प्रति बहुत कम या कोई प्रतिरोध नहीं होता है।
साल 2020 की शुरुआत में जापान में कोविड-19 का पहला मामला सामने आने के बाद से, पूर्वी एशियाई देश में कुल 34 मिलियन संक्रमण और लगभग 75,000 संबंधित मौतें दर्ज की गई है। देश का कोविड-19 केस लोड 5 अगस्त, 2022 को चरम पर था, जब 253,000 से अधिक लोग इलाज प्राप्त कर रहे थे। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के पति डग एमहॉफ जैसे हाई-प्रोफाइल अमेरिकी लोगों का हाल ही में कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया है और वे आइसोलेशन में चले गए हैं। इस बीच, चल रही टूर डी फ्रांस साइकिलिंग रेस में कई राइडर्स के भी कोरोना टेस्ट के नतीजे पॉजिटिव आए हैं। महामारी की शुरुआत में गठित जापान के सलाहकार पैनल में शामिल टेटेडा ने कहा कि आने वाले सप्ताह महत्वपूर्ण होंगे क्योंकि अधिकारी वैरिएंट के प्रसार और प्रभाव की निगरानी करेंगे। इधर अस्पतालों में कोविड-19 के मरीजों के दाखिले में तेज वृद्धि हो रही है। टेटेडा ने कहा कि उन्हें “इस बात से राहत मिली है कि इनमें से कई मामले गंभीर नहीं हैं। केपी 3 वैरिएंट के विशिष्ट लक्षणों में तेज बुखार, गले में खराश, गंध और स्वाद का नुकसान, सिरदर्द और थकान शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, जापान भर में चिकित्सा सुविधाओं में पिछले सप्ताह की तुलना में 1 से 7 जुलाई तक संक्रमण में 1.39 गुना या 39 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। ओकिनावा प्रान्त वायरस के नए स्ट्रेन से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है, जहां अस्पतालों में प्रतिदिन औसतन लगभग 30 संक्रमण के मामले सामने आ रहे हैं। स्थानीय खबरों के अनुसार, केपी 3 वैरिएंट ने देश भर में कोविड-19 के 90 प्रतिशत से ज़्यादा मामलों को जन्म दिया है, जिसके कारण चिकित्सा सुविधाओं में बेडों की कमी के बारे में फिर से चिंताएं पैदा हो गई हैं।