नई दिल्ली। नीट पेपर लीक मामले में सोमवार को सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा, अगर परीक्षा की पवित्रता नष्ट हुई हैं, तब दोबारा परीक्षा का आदेश देना पड़ता है। अगर हम दोषियों की पहचान करने में असमर्थ हैं, तब दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा।

नीट पेपर लीक पर करीब 38 सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ने कहा कि पेपर लीक हुआ है। सीजेआई ने कहा, ये साफ है कि पेपर लीक हुआ है। लीक कितने बड़े स्तर पर हुआ इस पर विचार कर रहे हैं। लीक पर विवाद नहीं है। हम इसके परिणामों पर विचार कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनटीए, केंद्र और सीबीआई के हलफनामे बुधवार, 10 जुलाई को शाम 5 बजे तक रिकॉर्ड पर रखे जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 11 जुलाई को तय की है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से उन अभ्यर्थियों की पहचान करने को कहा, जिन्हें नीट-यूजी पेपर लीक से फायदा पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से उन सेंटर और शहरों की पहचान करने को भी कहा, जहां पेपर लीक हुआ था।

इसके साथ ही सीजेआई ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के सभी वकील जो दोबारा परीक्षा कराना चाहते हैं। वे सब एक साथ मिलकर गुरुवार से पहले एक ज्वाइंट सबमिशन दाखिल करें, जो 10 पेज से ज्यादा न हो।

सुनवाई के दौरान वकील ने भी माना कि नीट यूजी प्रश्न पत्र 5 मई को टेलीग्राम एप पर वायरल हुआ था। 5 मई को आयोजित परीक्षा में पेपर लीक मामले की रिपोर्ट के बाद उम्मीदवारों ने विरोध प्रदर्शन किया था। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की सुप्रीम कोर्ट की बेंच याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में परीक्षा रद्द करने, एनटीए को दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने, अनियमितताओं के संबंध में न्यायालय की निगरानी में जांच करने का अनुरोध किया। सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को परीक्षा रद्द करने से रोकने का अनुरोध करने वाली गुजरात के 50 से ज्यादा सफल परीक्षार्थियों की याचिका पर भी सुनवाई की। कुछ याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से दुबारा परीक्षा करने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत से कहा कि कसूरवार और बेकसूरों की पहचान करना संभव नहीं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ ध्यान देने वाली बातें हैं, 67 उम्मीदवार 720 में से 720 अंक प्राप्त करते हैं, जबकि पिछले सालों में यह रेश्यो बहुत कम था। इतनी ही नहीं सीजेआई ने कहा अगर प्रश्नपत्र सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से लीक होता है, तब यह जंगल की आग की तरह फैलता है। यह साफ है कि प्रश्नपत्र लीक हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि कितने गलत काम करने वाले आरोपियों के परिणाम रोके गए हैं? हम उन उम्मीदवारों की सभी जरूरी डिटेल जानना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा, यह मानते हुए कि सरकार परीक्षा रद्द नहीं करेगी, तब फिर वे प्रश्न पत्र लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करेगी?

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