ग्वालियर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सउदी अरब और बंगलादेश के दूतावासों को नोटिस जारी किये हैं। यह नोटिस गैर कानूनी तरीके से भारत में घुसे विदेशी नागरिक की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिये गये। सुनवाई बुधवार को हुई थी। अहमद अलमक्की को ग्वालियर के पड़ाव थाने की पुलिस ने 21 सितम्बर 2014 को गिरफ्तार किया था। वह बंगलादेश के पासपोर्ट पर सिम खरीदने की कोशिश में था। उसके पास से बंगलादेश का पासपोर्ट, सउदी अरब का ड्रायविंग लायसेंस मिला था।

डसे 3 वर्ष की सजा हुई जो 22 अक्टूबर 2017 को पूरी हो चुकी है। फिलहाल उसे ग्वालियर सेन्ट्रल जेल के डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में उसने कहा है कि उसे गलत तरीके से गिरफ्तार कर हिरासत में रखा हुआ है। अलमक्की ने स्वयं को सउदी अरब का नागरिक बताते हुए अपने देश पहुंचाने की मांग रखी है। लेकिन जब वह पकड़ा गया था। तब उसने पुलिस को पूछताछ में स्वयं को बंगलादेशी बताया था। ऐसे में कोर्ट ने दोनों देशों के दिल्ली स्थित दूतावासों से जानकारी देने के लिये कहा है।

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को कानूनी भाषा में हैबियस कॉपर्स कहा जाता है। इस याचिका का इस्तेमाल हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में तब किया जाता है, जब किसी व्यक्ति को अवैध रूप से कस्टडी में रखा जाए या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ऐसा कार्य किया जाना, जो अपहरण के दायरे में आता हो।

 

22 सितम्बर 2017 को अलमक्की की सजा पूरी होने के बाद इसे 9 माह तक केन्द्रीय जेल में रखा गया था। 12 जून 2018 को पुलिस उसे डिटेन कर रही थी। महलगांव मस्जिद से लौटते वक्त पड़ाव थाना क्षेत्र के एलआईसी तिराहे पर आरक्षक विजयशंकर को चकमा देकर भाग गया था। ग्वालियर की पड़ाव थाना पुलिस ने उसे हैदराबाद में सायबराबाद कमिश्नरेट के राजेन्द्र नगर थाना इलाके से दोस्त इस्माइल के घर से पकड़ा गया था।

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