नई दिल्ली। आज से पूरे देश में भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू हो कर दिए गए हैं। जिसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बीच केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने अपने एक्स पर लिखा-आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू हो गए हैं। 90-99 फीसदी तथाकथित नए कानून कट, कॉपी और पेस्ट हैं, जो मौजूदा तीन कानूनों में कुछ संशोधनों के साथ पूरे किए जा सकता थे, लेकिन इसे एक बेकार की प्रक्रिया में बदला गया है। हां, नए कानूनों में कुछ सुधार लाए गए हैं और हमने उनका स्वागत किया है। इन्हें संशोधन के रूप में पेश किया जा सकता था।

उन्होंने आगे लिखा-दूसरी ओर कई खराब प्रावधान भी हैं। कुछ बदलाव असंवैधानिक हैं। जो सांसद स्थायी समिति के सदस्य थे, उन्होंने प्रावधानों पर विचार किया और तीनों विधेयकों पर विस्तृत असहमति नोट लिखे हैं। सरकार ने असहमति पत्रों में आलोचनाओं का कोई खंडन नहीं किया या जवाब नहीं दिया और संसद में कोई सार्थक बहस भी नहीं की। कानून के विद्वानों, बार एसोसिएशनों, न्यायाधीशों और वकीलों ने कई लेखों और सेमिनारों में तीन नए कानूनों में कमियों की ओर इशारा किया है। सरकार ने किसी के भी सवालों का जवाब देना सही नहीं समझा। चिदंबरम ने आगे लिखा कि मौजूदा कानूनों को खत्म करने और उनके स्थान पर बिना चर्चा और बहस के तीन नए विधेयक लाने का मामला आपराधिक न्याय प्रशासन को अस्त-व्यस्त करने वाला होगा। तीनों कानूनों को संविधान और आपराधिक न्यायशास्त्र के आधुनिक सिद्धांतों के अनुरूप लाने के लिए उनमें और बदलाव होने चाहिए।

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