नई दिल्ली। दिल्ली में कथित शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर कब आएंगे, इसका फैसला 10 जुलाई को हो सकता है। वजह ये कि केजरीवाल ने निचली अदालत के आदेश पर हाई कोर्ट की तरफ से लगाई गई अंतरिम रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। दूसरी ओर केजरीवाल के इस रुख से भारतीय जनता पार्टी खुश नहीं है। उसने इसकी निंदा की है। 20 जून को निचली अदालत से जमानत दिए जाने के बाद शुक्रवार को हाई कोर्ट ने केजरीवाल की रिहाई पर रोक लगा दी थी। केजरीवाल को 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। अगर हाई कोर्ट ने जमानत पर रोक नहीं लगाई होती तो केजरीवाल बीते शुक्रवार को ही तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते थे।
हाई कोर्ट की वेकेशन बेंच ने कहा कि वे दो-तीन दिनों के लिए आदेश सुरक्षित रख रहे हैं, क्योंकि वह पूरे मामले के रिकॉर्ड देखना चाहते हैं। अदालत ने केजरीवाल को एक नोटिस भी जारी किया, जिसमें ईडी की उस याचिका पर उनका जवाब मांगा गया है, जिसमें ट्रायल कोर्ट के जमानत के आदेश को चुनौती दी गई। अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय की थी। जमानत देने के आदेश में ट्रायल कोर्ट ने माना था कि पहली नजर में केजरीवाल का अपराध अभी तक स्थापित नहीं हुआ है और ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अपराध की इनकम से उन्हें जोड़ने वाले प्रत्यक्ष सबूत पेश करने में नाकाम रही है। दिल्ली के उपराज्यपाल ने जांच के आदेश देने के बाद 2022 में आबकारी नीति को रद्द कर दिया गया था। ईडी और सीबीआई के अनुसार, पॉलिसी को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। हाई कोर्ट से जमानत पर स्टे के खिलाफ सीएम अरविंद केजरीवाल के सुप्रीम कोर्ट जाने को लेकर बीजेपी ने निंदा की है। रविवार को दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इसे पाखंड की पराकाष्ठा कहा है। उन्होंने कहा, आम आदमी पार्टी के नेता चार दिन पहले सीएम अरविंद केजरीवाल को मिली जमानत के खिलाफ हाई कोर्ट जाने के लिए ईडी की निंदा कर रहे थे। उन्होंने हाई कोर्ट की सुनवाई पूरी होने का इंतजार किए बिना ही सुप्रीम कोर्ट का रुख कर लिया।