भोपाल । प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम और योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण की जीवनी को प्रदेश में संचालित स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के राज्य सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की है कि सभी धर्मों के महापुरूषों एवं समाज सुधारकों की जीवनी के प्रमुख अंश भी भावी पीढ़ी को पढ़ाये जाने चाहिये।
आज जारी प्रेस विज्ञप्ति में राज्यसभा सांसद श्री सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति सर्वधर्म समभाव में विश्वास रखने वाली संस्कृति है। जिसमें अनेक जाति, धर्म और सम्प्रदाय के लोग सदियों से साथ मिलकर रह रहे हैं। भारत का संविधान हमें सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाता है। भारत भूमि वह पुण्य भूमि है, जिस पर भगवान श्री राम और श्री कृष्ण ने जन्म लेकर मर्यादा और न्याय के लिये लड़ने की राह दिखाई है। वहीं इस धरती पर अहिंसा के पुजारी भगवान महावीर, करूणा के सागर भगवान बुद्ध ने अवतार लेकर पूरी दुनिया को मानवता का पाठ पढ़ाया। सर्वधर्म समभाव की भावना को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार को भगवान महावीर स्वामी, भगवान गौतम बुद्ध, गुरूनानक देव, ईसा मसीह एवं पैगम्बर मोहम्मद सहित अन्य सभी धर्म के आराध्य की जीवनी स्कूल एवं कॉलेज के पाठ्यक्रम में शामिल की जानी चाहिये।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कबीर, संत तुकाराम, तुकड़ो जी महाराज, ज्योति बा फुले, समर्थ रामदास, गुरू घासीदास, संत रविदास, भीमराव अम्बेडकर, महात्मा गाँधी, बिनोवा भावे, बाबा आमटे, राजा राममोहन राय, सावित्री बाई फुले, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानन्द सरस्वती, मदर टेरेसा एवं विरसा मुण्डा आदि महापुरूषों एवं समाज सुधारकों के प्रसंगों को भी पाठ्यक्रम में स्थान दिलाये जाने का अनुरोध किया है। समाज के लाखों लोग इन महापुरूषों के जीवन प्रसंगों से प्रेरणा लेते है। हमारी संस्कृति ’’वसुधैव कुटुंबकम’’ की भावना का सच्चा प्रतिनिधित्व करती है और यही हमारे संविधान के मूल्यों में निहित है, जो हमें सभी धर्मों के प्रति आदर और समभाव सिखाता है।