नई दिल्ली । भारत सरकार 6 साल के बाद गेहूं के आयात करने पर विचार कर रही है। मौसम में परिवर्तन के कारण यह स्थिति निर्मित हो रही है। गेहूं का उत्पादन और सरकारी भंडारण कम होने से अब गेहूं आयात करना पड़ेगा। 80 करोड लोगों को सरकार मुफ्त में गेहूं और चावल दे रही है। गेहूं का उत्पादन कम हो जाने के कारण गेहूं का आयात करना पड़ सकता है। समर्थन मूल्य पर किसानों से जो गेहूं की खरीद की जा रही थी। वह लक्ष्य से काफी कम है। भारत सरकार ने अभी आयातित गेहूं पर 40 फ़ीसदी टैक्स लगा रखा है। जिसके कारण भारत में दुनिया के किसी भी देश से गेहूं का आयात किया जाना संभव ही नहीं था। सरकार अब 40 फ़ीसदी आयात शुल्क हटाने जा रही है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रूस से गेहूं का आयात किया जाएगा। भारत सरकार ने पिछले दो वर्षों का जो गेहूं एफसीआई की गोदाम में स्टॉक में था। उस गेहूं को एफसीआई द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में और नीलामी के जरिए पिछले साल बेच दिया गया है। जिसके कारण गेंहू का भंडारण सरकारी गोदामो में कम हो गया है। भारत यदि रूस से गेहूं आयात करेगा। तो दुनिया भर में इसका असर होगा। गेहूं के दाम सारी दुनिया के देशों में बढ़ेंगे। रूस यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया के देशों में गेहूं की मांग की पूर्ति करने के लिए भारत से गेहूं और गेहूं से बने उत्पाद निर्यात किए गए थे। जिसके कारण गेहूं भंडारण की स्थिति पहली बार भारत में बहुत कम हो गई है। गेहूं का पर्याप्त भंडारण बनाए रखने के लिए जुलाई माह के बाद गेहूं का आयात करने की जरूर केंद्र सरकार को पड़ेगी। इसके लिए आयात शुल्क को खत्म किया जाएगा। ताकि भारत में गेहूं के दाम स्थिर बने रहें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *