भोपाल, 12 मई। मां शब्द के साथ कई भावनाएं जुड़ी होती हैं। एक बच्चे के लिए उसकी मां की क्या अहमियत होती है, इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। मां के त्याग और योदान को चुकाने की हम कितनी भी कोशिश क्यों न कर लें, लेकिन ऐसा करना नामुमकिन है। इसलिए उनके त्याग और उनके सभी योगदानों को सम्मानित करने के लिए हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। इस बार हम मां-बेटे के प्यार की अनूठी मिशाल को पेश कर रहे हैं।

एक ओर कलयुग में बेटे अपने बूढ़े मां-बाप को घरों में साथ नहीं रख रहे हैं, वही दूसरी ओर राजधानी भोपाल के रहने वाले एक बेटे ने मां-बेटे के बीच के प्यार की अनूठी मिसाल पेश की है। राजधानी भोपाल के कटारा हिल्स के प्राइड सिटी में रहने वाले कुलदीप अपनी मां अर्चना शुक्ला से बेहद प्यार करते हैं। उनकी मां का निधन 14 फरवरी 2021 को हो गया था। मां से लगाव के चलते कुलदीप ने स्मृतियों को जीवंत बनाए रखने के लिए कोलकाता के मशहूर मूर्सेतिकार से उनकी हूबहू प्रतिमा बनवाई। प्रतिदिन मां की प्रतिमा का श्रृंगार कर कुलदीप उनकी पूजा उसी तरह करते हैं जैसे किसी देवी प्रतिमा की। बेटी प्रतिदिन मां की पसंद के खाद्य सामग्री का भोग लगाता है और  दीप ज्योति से आरती उतारकर साष्टांग दण्डवत करता है। मां बेटे के इस अद्भुत प्यार के बारे में जो भी जान पाता है हैरान श्रद्धावनत हो जाता है।

कुलदीप की मां अर्चना शुक्ला बेहद धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। धर्मिक के साथ वह सामाजिक कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया करती थीं। भरे पूरे परिवार के साथ सुखमय जीवन यापन कर रही अर्चना शुक्ला 15 जनवरी 2021 को अचानक सुबह सांस लेने में दिक्कत के उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराई गईं। वह  25 एवं 26 जनवरी को बिल्कुल स्वस्थ हो गईं और उन्होंने अपने सभी रिश्तेदारों से वीडियो कॉल के माध्यम से बात भी की। उन्होंने बताया कि वह तो भगवान के पास चली गई थीं, लेकिन बच्चे उन्हें खींचकर वापस ले आए। इसी बीच दो दिन के बाद अर्चना शुक्ला को आईसीयू में शिफ्ट किया गया, उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था और हृदय ने काम करना बंद कर दिया था। डॉक्टरों के काफी प्रयास के बावजूद भी अर्चना शुक्ला को बचाया नहीं जा सका। 14 फरवरी को अर्चना शुक्ला भरा पूरा परिवार छोड़कर हमेशा के परलोकवासी हो गईं।

 

अब परिवार के पास अर्चना जी की सिर्फ उनकी यादें रह गई थीं। उनके पुत्र कुलदीप शुक्ला मां की यादों को संजोकर रखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपने मां को प्रतिमा के रूप में अपने दिल के करीब रखा है।

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