भारत और अमेरिका लगातार नेपाल से संपर्क में
काठमांडू । भारत के पड़ोसी देश नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव पर लगाम लगाने भारत, अमेरिका के बाद अब जापान भी एक्शन में आ गया है। जापानी विदेश मंत्री कामिकावा योको 5 मई को नेपाल के दौरे पर आ रही हैं। साल 1956 में नेपाल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद यह किसी जापानी विदेश मंत्री का चौथा दौरा है। साल 2019 के बाद किसी जापानी विदेश मंत्री का यह पहला दौरा है। मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि इस दौरान नेपाल के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा होगी। विश्लेषकों का कहना है कि इस यात्रा का मकसद चीन को कड़ा संदेश देना भी है जो इस हिमालयी देश में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक नेपाली विदेश मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव ने कहा, इस यात्रा के पीछे एक रणनीतिक वजह भी है क्योंकि जापान एक मिडिल पावर के रूप में अपनी भूमिका बनाना चाहता है और एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहता है। यह केवल पूरी तरह से द्विपक्षीय रिश्ते को लेकर यात्रा नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि चीन और अमेरिका में बढ़ते तनाव के बीच जापान वॉशिंगटन का करीबी सहयोगी बना हुआ है। उन्होंने कहा, जापानी विदेश मंत्री की नेपाल और श्रीलंका यात्रा चीन को रणनीतिक संदेश देना है। जापान यह बताना चाहता है कि वह एशिया में रणनीतिक पहुंच को बढ़ा रहा है। जापानी विदेश मंत्री 5 मई को पहुंचकर उसी दिन शाम को लौट जाएगी। नेपाली विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश हमारे संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा और सहयोग के क्षेत्रों पर चर्चा करने वाले है। इस यात्रा के दौरान किसी भी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं होना है। नेपाली विशेषज्ञों का कहना है कि हमारे देश को जापान के साथ रिश्ते को मजबूत करना चाहिए। विशेषज्ञों ने कहा कि लाखों जापानी नागरिक भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी आना चाहते हैं। उन्हें यहां पर लाया जा सकता है। इससे देश में पर्यटन बढ़ेगा। जापान ने कई एशियाई देशों को विकास प्रॉजेक्ट के लिए बहुत कम ब्याज पर पैसा भी दिया है। जापानी विदेश मंत्री की यह नेपाल यात्रा उस समय पर हो रही है जब चीन ने नेपाल में अपने प्रभाव को बढ़ाना तेज किया है। खासतौर पर जब से केपी ओली के समर्थन से प्रचंड सरकार बनी है। चीन ने नेपाली नागरिकों के लिए वीजा फीस को खत्म कर दिया है। इतना ही नहीं चीन कई प्रॉजेक्ट भी नेपाल के अंदर शुरू करने जा रहा है। चीन पोखरा और भैरहवा एयरपोर्ट पर उड़ान भी भेजने जा रहा है। वहीं चीन को मात देने के लिए भारत ने भी बड़े पैमाने पर प्रॉजेक्ट शुरू किए हैं। भारत नेपाल से बिजली खरीद रहा है, जिसकी चीन आलोचना करता है।