ग्वालियर, 03 सितंबर। पत्नी की याद में पहाड़ चीर देने वाले बिहार के ‘माउंटेन-मेन’ दशरथ दशरथ मांझी आज किंवदंती बन चुके है, लेकिन झारखंड के धनंजय कुमार मांझी का प्रयास भी कोई कमतर नहीं है। धनंजय गर्भवती पत्नी सोनी हेम्बरम को डीलेड (डि.ईएल.ईएड) द्वितीय वर्ष की परीक्षा दिलाने स्कूटरेट से ग्वालियर के पद्मा कन्या विद्यालय पहुंच गए। बांग्लादेश सीमा के समीप से धनंजय ने ग्वालियर तक करीब 1,176 किमी स्कूटी चलाई। सोनी-धनंजय के साहस को प्रणाम करते हुए आडानी समूह ने युगल की वापसी के लिए एयर टिकट भेज दिए हैं।
‘माउंटेन-मेन’ दशरथ माझी के ही पड़ोसी अंचल से एक और पति धनंजय ने पत्नी के लिए असीमित स्नेह और समर्पण की मिसाल कायम की है। झारखंड में गोड्डा जिले के गांव गन्टा टोला के धनंजय कुमार बांग्लादेश की सीमा से मध्यप्रदेश के ग्वालियर तक करीब 1,176 किमी तक गर्भवती पत्नी को बैठा कर स्कूटरेट चलाई। इस प्रेमपथ में धनंजय ने झारखंड, बिहार और उत्तरप्रदेश के पहाड़ी-मैदानी रास्तों को पार किया। सीधा-सादे मासूम से युगल ने परीक्षा के दौरान ग्वालियर में दीनदयाल नगर में 1,500 रुपये में 10 दिन के लिए कमरा किराए पर लिया था। 11 सितंबर को परीक्षा संपन्न होने के बाद जोड़ा स्कूटी से ही झारखंड वापसी का हौसला संजोए था, लेकिन ग्वालियर के संवाद माध्यमों ने उनकी साहसी और प्रेरक प्रेम कहानी को देश के कोने-कोने तक पहुंचा दिया।
अडानी समूह ने भेजा वापसी का एयर-टिकट, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कराई प्रवास की अतिथियों सी व्यावस्था
अब तो सोनी-धनंजय के सामने उपहारों की झड़ी लगी है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने युगल के रहने खाने का अतिथियों की तरह सम्मानजनक प्रबंध कर दिया है, तो सोनी के संस्थान ने परीक्षा देने के लिए केंद्र तक आने-जाने को वाहन उपलब्ध करा दिया है। देश के प्रसिद्ध औद्योगिक समूह अदानी फाउंडेशन की चेयरपर्सन स्वीटी अदानी ने वापसी के लिए हवाई टिकट भेज दिया है, और सोनी-धनंजय जब रांची एयरपोर्ट पर उतरेंगे तो वहां के कलेक्टर उन्हें घर तक पहुंचाने निजी वाहन उपलब्ध कराएंगे।
तुलसीदास ने बरसाती सांपों रस्सी बनाया, धनंजय ने लिए पेड़ों का आसरा
छोटी सी स्कूटरेट से इतना लंबा सफर करने के लिए मित्रों-हितैषियों ने लाख मना किया, लेकिन धनंजय को हर हाल में पत्नी को परीक्षा दिलाने का जुनून था। रत्नावली के प्रेम में डूबे गोस्वामी तुलसीदास भरी बरसात में सांप को रस्सी मान बैठे थे तो धनंजय ने भी अपनी सोनी के साथ रास्ते की बारिश के पेड़ के नीचे घंटों आसरा लेकर काटी। बिहार के भागलपुर में बाढ़ आई थी, लेकिन वह भी धनंजय की भावनाओं के प्रवाह के सामने कमजोर साबित हुई। शहर-दर-शहर, गांव-गांव दूरूह औऱ बदहाल गड्ढों से भरी सड़कों की दुश्वारियो को भी पार कर लिया। एक रात मुजफ्फरपुर की लॉज में और लखनऊ के टोल टैक्स बैरियर पर काटी।
खुद कम पढ़े-लिखे, कैंटीन में वावर्ची, पत्नी को पढ़ाने रखा सब कुछ गिरवी
धनंजय खुद 10वीं पास भी नहीं हैं, लेकिन अपनी पत्नी को शिक्षक बनाना चाहते हैं। इसीलिए पत्नी फिलहाल डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डि.ईएल.ईएड) द्वितीय वर्ष की परीक्षा दे रही हैं। धनंजय के मुताबिक हर पति-पत्नी की तरह नोकझोंक व झगड़ा होता है, लेकिन बातचीत करने पर सभी शिकायतें खत्म हो जाती हैं। उनके बीच भी हुआ जब कैंटीन में बावर्ची धनंजय लॉकडाउन में बेरोजगार हो गए, फिर भी सफर के लिए सोनी के जेवर 10 हजार रुपये में गिरवी रखे। अब लौट कर धनंजय को जेवर बचाने के लिए 300 रुपये के ब्याज का भी जुगाड़ करना होगा।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) द्वारा डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन की परीक्षाएं एक सितंबर से 11 सितंबर तक आयोजित की जा रही हैं। ग्वालियर में कुल 23 केंद्रों में परीक्षा देने के लिए 10 हजार 680 विद्यार्थी पंजीकृत हैं।