भोपाल। मध्यप्रदेश के जिन 6 लोकसभा संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में शुक्रवार 26 अप्रैल को सुबह 7 से शाम 6 बजे तक वोटिंग होनी है, उन सीटों पर 24 अप्रैल की शाम 6 बजे से चुनाव प्रचार बंद हो चुका है। दूसरे चरण के चुनाव में मध्यप्रदेश की जिन लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है उनमें टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद लोकसभा सीट हैं।इन सीटों में कुल एक करोड़ 11 लाख 62 हजार 460 मतदाता हैं। इन सभी 6 सीटों पर 80 उम्मीदवार का भाग्य लिखा जाएगा। 80 में 75 पुरुष उम्मीदवार, 4 महिला उम्मीदवार और एक थर्ड जेंडर उम्मीदवार हैं। इन सीटों पर मतदान को लेकर पूरी तैयारी हो चुकी है।

चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 में सभी मतदाताओं को क्यूआर कोड वाली मतदाता सूचना पर्ची वितरित की है। यदि किसी मतदाता के पास मतदाता पर्ची नहीं है और उसका नाम मतदाता सूची में है, तो मतदान के लिये फोटोयुक्त वोटर आईडी कार्ड के अलावा 12 वैकल्पिक फोटोयुक्त दस्तावेजों आधार कार्ड, पैन कार्ड,दिव्यांग यूनिक आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मनरेगा जॉब कार्ड, पेंशन दस्तावेज (फोटो सहित), पासपोर्ट, पासबुक, फोटोयुक्त सर्विस पहचान पत्र, सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्यों को जारी आधिकारिक पहचान पत्र, एनपीआर के अंतर्गत आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड में से कोई भी एक दस्तावेज दिखाकर मतदान कर सकता है।

खजुराहो में वीडी की महागठबंधन ने टक्कर

खजुराहो सीट पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को फिर से मौका मिला है। जबकि यह सीट इंडी गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी को दी गई थी लेकिन सपा उम्मीदवार मीरा यादव का पर्चा रद्द होने से वीडी शर्मा को लगभग वॉकओवर मिल गया है। यह सीट बीजेपी का गढ़ रही है, 1999 के लोकसभा चुनाव को छोड़ दें तो 1989 से यहां पर बीजेपी का दबदबा रहा है। खजुराहों में लगभग 19.94 लाख वोटर हैं, 10.45 लाख पुरुष और 9.48 लाख महिला मतदाता हैं। खजुराहो संसदीय क्षेत्र में शामिल 8 विधानसभा क्षेत्र चंदला, रामनगर, पवई, गुनौर, पन्ना, विजयराघवगढ़, मुड़वारा, बहोरीबंद हैं। यहां की सभी विधानसभा में बीजेपी का कब्जा है।

टीकमगढ़ में कांटे का मुकाबला

टीकमगढ़ की बात करें तो यहां पर भाजपा के डॉक्टर वीरेंद्र कुमार और कांग्रेस के पंकज अहिरवार के बीच मुकाबला माना जा रहा है। गठबंधन की वजह से सपा ने अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा। जबकि बसपा ने दल्लूराम अहिरवार को टिकट दिया है। यहां सात बार सांसद और दो बार केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार के सामने कांग्रेस ने ऐसे कैंडिटेड को उतारा है जो अवना पहला चुनाव लड़ रहे हैं। इस क्षेत्र में भले ही 5 लाख के आसपास अहिरवार वोट हो लेकिन तीन लोकसभा चुनाव से कांग्रेस के अहिरवार कैंडिटेड हार रहे हैं। यहां लगभग 18.17 लाख वोटर हैं, इनमें 9.53 लाख पुरुष और 8.64 लाख महिला मतदाता हैं। टीकमगढ़, जतारा, खरगापुर, पृथ्वीपुर, निवारी, महाराजपुर, छतरपुर और बिजावर यहां विधानसभा सीट हैं। इन 8 में से 3 सीटों पर कांग्रेस जीत कर आई है जबकि 5 पर बीजेपी।

दमोह में लोधी बनाम लोधी

विधानसभा चुनाव में हार का स्वाद चखने वाले राहुल लोधी को बीजेपी ने यहां पर लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने तरबर सिंह लोधी का सामने रखा है। यहां लोधी बनाम लोधी का मुकाबला है। ये दोनों ही कैंडिटेट एक-एक बार एमएलए रह चुके हैं। इस सीट को कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। 1989 से बीजेपी ने यहां से अपनी जीत का क्रम शुरू किया और तब से यह जारी है। 35 वर्षों से यहां बीजेपी का दबदबा है। इस लोकसभा के अंदर 8 विधानसभा क्षेत्र दमोह, हटा, जबेरा, पथरिया, बड़ा मलहरा, देवरी, रहली, बंडा आते हैं। यहां लगभग 19.19 लाख वोटर हैं, इनमें 10.05 लाख पुरुष और 9.13 लाख महिला मतदाता हैं। यदि हम दमोह लोकसभा सीट की बात करें तो यहां 8 सीटों में से सिर्फ 1 पर ही कांग्रेस ने अपना कब्जा किया है और वह सीट मलहरा है।

सतना में गणेश और नारायण

इसी सीट पर विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी ने बीजेपी के चार बार के सांसद गणेश सिंह को मात दी थी। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी और कांग्रेस ने उन्हीं उम्मीदवारों पर दांव लगाया है, जिनको विधानसभा इलेक्शन में उतारा गया था। पिछड़ा वर्ग के दोनों प्रमुख कैंडिडेट के बीच बसपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार पर भरोसा जताया है, ऐसे में नारायण त्रिपाठी के आ जाने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। सतना लोकसभा सीट में सतना, रामपुर बघेलान, नागौद, रैगांव, चित्रकूट, मैहर, अमरपाटन विधानसभा सीट आती हैं। इन 7 सीटों में से 2 पर कांग्रेस का कब्जा है और यह दो सीटें सतना एवं अमरपाटन हैं। सतना संसदीय सीट पर पिछले सात चुनावों से हार पर हार झेलती आ रही है कांग्रेस ने 28 साल बाद ओबीसी चेहरे पर दांव लगाया है। वहीं गणेश सिंह को नुकसान पहुंचाने के लिए बसपा ने भी बड़ी बाजी खेली है। यहां लगभग 16.98 लाख वोटर हैं, इनमें 8.88 लाख पुरुष और 8.09 लाख महिला मतदाता हैं।

रीवा मिश्रा बनाम मिश्रा

रीवा लोकसभा में मिश्रा बनाम मिश्रा का मुकाबला है। यहां बीजेपी के जनार्दन मिश्रा को दूसरी बार टिकट दिया गया है, जबकि बीजेपी की विधायक रहीं नीलम अभय मिश्रा को कांग्रेस ने लोकसभा के मैदान में उतारा है। 2018 में नीलम मिश्रा ने कांग्रेस ज्वॉइन किया था। रीवा की जनता बीजेपी प्रत्याशी को उतना पसंद नहीं कर रही है जितना कि मोदी की गारंटी और मोदी सरकार के कार्यों को। स्थानीय मुद्दों को लेकर जनार्दन मिश्रा को विरोधों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले पांच चुनाव परिणामों को देखें तो इस सीट पर तीन बार बीजेपी और एक-एक बार बीएसपी व कांग्रेस उम्मीदवार अपना परचम लहरा चुके हैं। रीवा लोकसभा में आठ विधानसभा क्षेत्र रीवा, गुढ़, सेमरिया, सिरमौर, मनगवां, त्योंथर, मऊगंज और देवतालाब हैं। रीवा संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा में से सिर्फ एक सीट पर ही कांग्रेस का कब्जा है और वह सीट है सेमरिया जहां से अभय मिश्रा विधायक हैं। यहां लगभग 18.45 लाख वोटर हैं, इनमें 9.63 लाख पुरुष और 8.81 लाख महिला मतदाता हैं।

होशंगाबाद में रोचक मुकाबला

लंबे समय तक बीजेपी में रहने वाले संजय शर्मा को कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि किसान नेता दर्शन सिंह पर बीजेपी ने दांव लगाया है। ये भले ही दर्शन सिंह का पहला चुनाव है लेकिन वे यहां काफी दमदार हैं। होशंगाबाद जिसे अब नर्मदापुरम के नाम से जाना जाता है, वहां की सभी 8 विधानसभा में बीजेपी का कब्जा है। इस लोकसभा क्षेत्र से तीन मंत्री नरसिंहपुर से प्रहलाद पटेल, गाडरवाड़ा से राव उदय प्रताप और उदयपुरा से नरेंद्र शिवाजी पटेल है। इस सीट पर राव उदय प्रताप सिंह तीन बार सांसद रह चुके हैं। इस लोकसभा में होशंगाबाद, सिवनी-मालवा, सोहागपुर, पिपरिया, गाडरवारा, नरसिंहपुर, तेंदुखेड़ा और उदयपुरा विधानसभा सीट आती हैं। यहां लगभग 18.50 लाख वोटर हैं, इनमें 9.55 लाख पुरुष और 8.94 लाख महिला मतदाता हैं।

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