नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में इलेक्टोरल बांड को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की थी। राहुल का आरोप था कि इलेक्टोरल बांड को ‘दुनिया की सबसे बड़ी जबरन वसूली योजना’ के तौर पर देखा जाना चाहिए। इस मामले में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है।

शाह ने विपक्ष से सवाल किया कि क्या विपक्षी दल भी इलेक्टोरल बांड के माध्यम से प्राप्त चंदे को ‘जबरन वसूली’ कहेंगे। जबरन वसूली क्या होती इसको पहले समझना चाहिए। लोकसभा चुनाव के बीच इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के आरोप का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा ‘उनकी पार्टियों को इलेक्टोरल बांड के माध्यम से भी चंदा मिला है। क्या वह भी जबरन वसूली है? राहुल गांधी को लोगों को बताना चाहिए। और सांसदों की संख्या के अनुपात में उन्हें जो चंदा मिला है, वह हमें मिलने वाले चंदे से भी ज्यादा है। उनके पास कोई मुद्दा नहीं है, हमारे ऊपर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। इसलिए वे भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। वे सफल नहीं होंगे।’मालूम हो कि 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड योजना को इस आधार पर रद्द कर दिया कि यह नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह योजना असंवैधानिक और मनमानी है और इससे राजनीतिक दलों और दानदाताओं के बीच बदले की व्यवस्था हो सकती है।इसके अलावा अमित शाह ने अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर जम्मू-कश्मीर में उथल-पुथल की भविष्यवाणी करने के लिए पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर शुक्रवार शाम को निशाना साधते हुए कहा कि अब किसी के पास केंद्र शासित प्रदेश में पत्थर फेंकने की हिम्मत नहीं है। अमित शाह ने कहा कि मुफ्ती और ‘राहुल बाबा’ जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाए जाने पर खून-खराबे की भविष्यवाणी करते थे।

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