नई दिल्ली। तमिलनाडु के रेत खनन मामले में ईडी ने चार जिला कलेक्टरों को तलब किया था। ईडी उचित दस्तावेजों के साथ कलेक्टरों से पूछताछ करना चाह रही थी। लंबा समय बीतने के बाद भी वेल्लोर, अरियालुर, कर्नूर और तिरुचि के कलेक्टर ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए। अंतत: मामला सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ में पहुंच गया। मामले की सुनवाई के दौरान तमिलनाडु की तरफ से उपस्थित वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलील देते हुए कहा कि चारों जिले के कलेक्टर न तो गवाह हैं और न ही आरोपी हैं, ऐसे में क्या ईडी इस तरह से किसी को भी तलब कर सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हां…जांच एजेंसी किसी भी सूचना के लिए किसी को भी पूछताछ के लिए तलब कर सकती है। साथ ही शीर्ष अदालत ने चारों जिलों के कलेक्टर्स को ईडी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया। पूरा मामला चारों जिलों में रेत खनन स्थलों से जुड़ा है। तमिलनाडु के चारों कलेक्टर्स ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रदेश में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान है और वे इसकी तैयारियों में जुटे हैं। लिहाजा, जांच एजेंसी के समक्ष सशरीर पेश होने में असमर्थ हैं। साथ ही उन्हें सूचना इकट्ठा करने के लिए भी वक्त चाहिए। चारों जिलों के जिलाधीशों ने कोर्ट को बताया कि जांच एजेंसी ने उनसे जो सूचनाएं मांगी हैं, वे जिले के अन्य विभाग से संबंधित हैं। ऐसे में उन्हें एकत्र कर उनका पुष्टि करना जरूरी है। हालांकि, कोर्ट ने उनकी इस दलील को खारिज कर दिया। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि उनका (चारों जिलों के कलेक्टर) यह व्यवहार सुप्रीम कोर्ट के 27 फरवरी के आदेश के प्रति बहुत ही कम सम्मान को दर्शाता है। कोर्ट ने अपने आदेश में चारों को ईडी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया था। तमिलनाडु की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि ईडी की ओर से मांगी गई जानकारी मुहैया कराने के लिए अधिकारी सूचनाएं जुटा रहे हैं। वे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हैं, ऐसे में उनके पास कानून-व्यवस्था को बनाए रखने समेत अन्य कई तरह की जिम्मेदारियां हैं। इस पर जस्टिस त्रिवेदी ने साफ लहजे में कहा कि कलेक्टर्स को इस कोर्ट के आदेशों का सम्मान करना चाहिए। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा, ‘वे (चारों जिलों के कलेक्टर) न तो गवाह हैं और नही आरोपी…क्या ईडी इस तरह से किसी को भी बुला सकती है।’ इस पर जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा- हां वे ऐसा कर सकते हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी 2024 को दिए अपने आदेश में तमिलनाडु के चारों जिलों के कलेक्टर को ईडी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया था। हालांकि, ये सभी शीर्ष अदालत के समक्ष पेश नहीं हुए थे। बाद में इन्होंने लोकसभा चुनाव का हवाला देते हुए व्यक्तिगत तौर पर पेश होने में असमर्थता जताई थी। कोर्ट ने उनके जवाब को खारिज करते हुए उन्हें 25 अप्रैल को ईडी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है। ईडी ने कुछ सप्ताह पहले रेत खनन से जुड़े एक मामले में तमिलनाडु के 4 जिलों के कलेक्टर को उचित दस्तावेज के साथ पूछताछ के लिए तलब किया था। ईडी की ओर से समन जारी होने के बावजूद ये चारों जांच एजेंसी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए थे । इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने इस केस की सुनवाई की। तमिलनाडु की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अमित आनंद कोर्ट में पेश हुए थे, जबकि वेल्लोर, अरियालुर, कर्नूर और तिरुचि के कलेक्टर की तरफ से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने दलील पेश की। सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि वे (चारों जिले के कलेक्टर) न तो गवाह हैं और न ही आरोपी हैं, ऐसे में क्या ईडी इस तरह से किसी को भी तलब कर सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हां…जांच एजेंसी किसी भी सूचना के लिए किसी को भी पूछताछ के लिए तलब कर सकती है। साथ ही शीर्ष अदालत ने चारों जिलों के कलेक्टर्स को ईडी के समक्ष पेश होने का आदेश दिया।