मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय उम्मीदवार सक्रिय हो गए हैं. उनका दावा है कि उनके समर्थन के बिना मध्य प्रदेश में किसी की भी सरकार बनना मुश्किल है. एग्जिट पोल ने इन दावों को मजबूती दी है. एबीपी न्यूज और सी वाटर के एग्जिट पोल के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है. एग्जिट पोल के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी को 88 से 112 सीट मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस को 113 में से 137 सीट मिल सकती हैं. इसी तरह अन्य को दो से आठ सीट मिलने की भी संभावना है.

कांग्रेस ने अगर अच्छा प्रदर्शन किया तो पूर्ण बहुमत भी मिल सकता है. दूसरी तस्वीर में अगर भारतीय जनता पार्टी का उच्चतम आंकड़ा देखें तो 112 सीट है, यानी बीजेपी भी बहुमत के काफी आस-पास दिखाई दे रही है. चुनावी परिणाम में अगर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर सामने आती है तो ऐसी स्थिति में आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और निर्दलीय प्रत्याशी जीतने के बाद सरकार बनाने में अहम किरदार निभा सकते हैं.
‘इसबार निर्दलीय बनाएंगे सरकार’
कांग्रेस के बागी पूर्व सांसद और रतलाम जिले की आलोट विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू के मुताबिक इस बार मध्य प्रदेश में 8 से ज्यादा निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीत कर आ रहे हैं. सरकार का फैसला निर्दलीय विधायकों द्वारा ही किया जाएगा. बीजेपी के बागी प्रताप आर्य के मुताबिक उज्जैन जिले की महिदपुर सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत होने वाली है. चुनावी फैसला आने के बाद आशीर्वादाताओं और मतदाताओं के बीच बैठकर आगे का फैसला लिया जाएगा. इस बार निर्दलीय प्रत्याशी बड़ी संख्या में जीत कर आ रहे हैं.
हर रीजन में निर्दलीयों का दबदबा
मध्य प्रदेश के मालवांचल, महाकौशल, बघेलखंड, बुंदेलखंड, निमाड़ और भोपाल रीजन में निर्दलीय खासतौर पर बीजेपी-कांग्रेस को छोड़कर अन्य पार्टी के साथ जुड़कर चुनाव मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों का कुछ सीटों पर काफी दबदबा माना जा रहा है. ऐसी स्थिति में यदि आंकड़ा भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच टक्कर वाला सामने आया तो फिर जीत कर आने वाले अन्य दलों के विधायकों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाएगी.
साल 2018 में बन गई थी ऐसी स्थिति
विधानसभा चुनाव 2018 में 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 114, भारतीय जनता पार्टी को 109, बहुजन समाज पार्टी को दो, समाजवादी पार्टी को एक और निर्दलीय के रूप में चार प्रत्याशी चुनाव जीत कर आए थे. उस समय निर्दलीय प्रत्याशियों में सुसनेर से विक्रम सिंह राणा, भगवानपुर सीट से केदार चिड़ा भाई डाबर, बुरहानपुर से ठाकुर सुरेंद्र सिंह, वारासिवनी से प्रदीप जायसवाल जीते थे और सरकार बनाने में निर्दलीयों का हाथ था.

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