हैदराबाद । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम चंद्र मिशन के वैश्विक मुख्यालय में एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यहां आने और शांति वन में आपके काम को निकट से देखने का मुझे सौभाग्य मिला। उन्होंने कहा कि मेने नहीं आने को लेकर दाजी की शिकायत रहती थी, बहुत पवित्र काम ऐसे होते हैं कि जब तक ऊपर वाले की इजाजत नहीं होती, तब तक मिल नहीं पाते हैं।

यहां प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मानवता के लिए किया जाने वाला यह काम बहुत ही अद्भुत है। इस कन्हा शांति वनम में जिस परंपरा, जिस संस्कृति को हम जी रहे हैं, वह हजारों वर्षों का सतत प्रयास है। उन्होंने कहा कि हमारी ये संस्कृति निरंतर समृद्ध होती आई है। इसमें हमारे संतो की, हमारे तपस्वियों की समृद्ध परंपरा की समृद्ध विरासत का और अथक प्रयासों का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि कन्हा शांति वनम इसी परंपरा को आगे बढ़ाने में लगा हुआ है। आज आपके अथक प्रयासों से 160 से ज्यादा देशों के अनेक लोग सहज मार्ग पद्धति से योग को अपनाए हुए हैं।

लाल किले का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कन्हा शांति वनम ने जिस तरह से विज्ञान और अध्यात्म को जोड़ा है, इसीलिए मैंने लाल किले से पांच प्राणों का आवाह्न किया था। उन्होंने कहा कि समृद्धि केवल धन दौलत से नहीं आती, बल्कि इसमें सांस्कृतिक उद्यम का भी विशेष महत्व होता है। आज भारत आर्थिक, सामरिक और सांस्कृतिक हर प्रकार से पुनर्जागरण काल में प्रवेश कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास साक्षी है कि जब-जब, जहां-जहां गुलामी आई, वहां सर्वप्रथम पहले उस समाज की मुख्य ताकत पर चोट की गई। उसके चेतना तत्व को तहस-नहस करने का प्रयास किया गया। इसका देश को भी बहुत नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन अब वक्त बदल रहा है और भारत भी बदल रहा है। यह भारत की आजादी का अमृतकाल है। यहां प्रधानमंत्री मोदी ने शांति वनम के कार्यों की प्रशंसा की और आगे भी इसी तरह कार्य करने का आव्हान किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *