कहा- अब यह मुनाफे का सौदा नहीं रहा; 10 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट में चीन भी शामिल था

इस्लामाबाद। सऊदी अरब सरकार पाकिस्तान में क्रूड ऑयल रिफाइनरी लगाने के वादे से पलटती नजर आ रही है। पाकिस्तान आला अफसरों के मुताबिक- सऊदी अरब की सबसे बड़ी ऑयल कंपनी आरामको ने पाकिस्तान सरकार को बताया है कि रिफाइनरी बिजनेस अब पहले की तरह मुनाफे वाला इन्वेस्टमेंट नहीं रहा। सऊदी और पाकिस्तान के अलावा चीन भी इस प्रोजेक्ट में पार्टनर था। रिपोर्ट में जिन अफसरों के हवाले से सऊदी कंपनी के पक्ष को सामने लाया गया है, उनमें से कोई भी नाम नहीं बताना चाहता। इसकी वजह है कि पाकिस्तानी की ताकतवर फौज भी इस प्रोजेक्ट में गहरी रुचि ले रही थी। अगर यह रिफाइनरी लग जाती तो पाकिस्तान हर दिन तीन लाख बैरल क्रूड ऑयल रिफाइन कर सकता था। यह डील पिछले साल हुई थी और उस वक्त शाहबाज शरीफ की अगुआई में पाकिस्तान डेमोक्रेटिक फ्रंट की हुकूमत थी। यह रिफाइनरी प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए पाकिस्तान ने सऊदी अरब को हर तरह की सहूलियत दी थी। कंपनी को ग्रीन रिफाइनरी के नाम पर मुनाफे में 25 साल तक 7.5 प्रतिशत देने का वादा था। इसके अलावा सभी तरह के टैक्स से 20 साल के लिए राहत दी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक- यह दोनों मांगें सऊदी सरकार ने पाकिस्तान के सामने रखी थीं।

 

अब मामला कहां अटका

एक पाकिस्तानी अफसर ने कहा- हाल ही में हमने आरामको के टॉप मैनेजमेंट से बातचीत की है। उन्होंने हमसे कहा कि आरामको अब इंडिपेंडेंट कंपनी है। इसमें सऊदी सरकार का दखल खत्म हो चुका है। अब कंपनी ने अपने हिसाब से नए नियम बनाए हैं। इस अफसर ने आगे कहा- कंपनी का नया मैनेजमेंट अब रिफाइनरी बिजनेस में इन्वेस्टमेंट नहीं करना चाहता। इसकी वजह ये है कि पहले की तरह अब यह बिजनेस मुनाफे वाला नहीं रहा। अगर कंपनी तैयार हो भी जाती है तो वो अपनी हिस्सेदारी 90 करोड़ डॉलर से ज्यादा नहीं रखेगी। दरअसल, यह रिफाइनरी सीरीज ऑफ प्रोजेक्ट है। इसका कुल बजट दस अरब डॉलर बताया गया था। पहला प्रोजेक्ट 3 अरब डॉलर का है। आरामको अब सिर्फ 30 प्रतिशत इन्वेस्टमेंट की बात कर रही है और यह एक तरह से प्रोजेक्ट से हट जाना ही है। पहले यह माना जा रहा था कि सऊदी सरकार और आरामको कम से कम 1.5 अरब डॉलर तो इन्वेस्ट करेंगे ही। माना जा रहा था पहले प्रोजेक्ट की बचा हुआ आधा इन्वेस्टमेंट पाकिस्तान सरकार करेगी और इसके लिए चीन की प्राईवेट बैंक से लोन लिया जाएगा। एक नई बात और हुई। पहले इस प्रोजेक्ट को आरामको लीड करने वाली थी, अब पाकिस्तान को कर्ज के सहारे यह जिम्मेदारी संभालनी होगी।

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