पेरिस। गाजा में हमास और इजरायल की जंग को एक माह से ज्यादा हो गया है। इस बीच कई देशों में बढ़ती यहूदी विरोधी भावना के विरोध में मार्च निकाले जा रहे है। इसी क्रम में फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक शां‎ति मार्च ‎निकाला गया। यहां पर बढ़ते यहूदी विरोधी भावना के विरोध में पूरे फ्रांस में 180,000 से अधिक लोगों ने रविवार 12 नवंबर को शांतिपूर्ण मार्च निकालकर युद्ध रोकने अपील की। कड़ी सुरक्षा में निकाले गए इस मार्च में दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन ने भी भाग लिया। जब‎कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने भाग नहीं लिया, लेकिन विरोध के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। इस मामले में आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि संसद के ऊपरी और निचले सदनों के नेताओं द्वारा शुरू किए गए आह्वान के जवाब में कम से कम 182,000 लोगों ने फ्रांसीसी शहरों के कई शहरों में मार्च किया। इस दौरान किसी बड़ी घटना की सूचना नहीं है। इस मार्च में लगभग 3 हजार पुलिस सैनिकों को तैनात किया है। गौरतलब है कि हमास के खिलाफ इजरायल के जवाबी कार्वाई के बाद से फ्रांस में यहूदी विरोधी कृत्यों में चिंताजनक बढ़ोतरी देखने को मिली है।

 

शां‎तिपूर्ण मार्च में हमास के शुरुआती हमले में लगभग 40 फ्रांसीसी नागरिकों में से कुछ के परिवार के सदस्यों और लापता या बंधक बनाए गए लोगों ने भी हिस्सा लिया। फ्रांस में सीआरआईएफ के नाम से मशहूर यहूदी संस्थानों की प्रतिनिधि परिषद के अध्यक्ष योनाथन अरफी ने कहा कि उन्हें रविवार के समर्थन प्रदर्शन से प्रोत्साहन मिला है। इजरायली और फ्रांसीसी अभिनेता तोमर सिसली ने जोर देकर कहा कि एकजुटता का विशाल प्रदर्शन साबित करता है कि अधिकांश फ्रांसीसी नागरिक किसी भी धार्मिक और जातीय समूह के खिलाफ हिंसा और नफरत के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा ‎कि हम यहूदी नहीं हैं, हम मुसलमान नहीं हैं, हम ईसाई नहीं हैं। हम फ्रांसीसी हैं और हम यहां सब एक साथ हैं। आंकड़ों पर ध्यान दें तो मिडिल ईस्ट में संघर्ष शुरू होने के बाद से फ्रांसीसी अधिकारियों ने एक महीने में देश भर में यहूदियों के खिलाफ 1,000 से अधिक मामले दर्ज किए हैं। आंतरिक मंत्रालय के अनुसार, शनिवार तक, अधिकारियों ने 7 अक्टूबर के बाद से 1,247 यहूदी-विरोधी कृत्यों की पुष्टि की है, जो पूरे 2022 की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है। उल्लेखनीय है कि इतनी भारी संख्या में पेरिस में 1990 को एक यहूदी कब्रिस्तान के अपमान के खिलाफ मार्च निकाला गया था। इसके बाद से रविवार को निकाला गया मार्च सबसे बड़ी सभा के रूप में सामने आया है।

 

 

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