हैदराबाद, 10 जुलाई। दुनियाभर में हमेशा कुछ न कुछ ऐसा होता रहता है, जिस पर सहसा विश्वास नहीं होता। इन घटनाओं को अद्भुत कहा जाता है, मगर असंभव नहीं, क्योंकि ईश्र्वर कुछ लोगों को ऐसी इच्छा शक्ति दे देता है जिनकी मंशा को महादेव भी पूरी करन पर विवश हो जाते हैं। आंध्रप्रदेश के गुंटूर में कुछ ऐसा ही अविश्वसनीय हुआ कि जिस पर सभी विश्वास करने के लिए विवश हो गए। यहां 57 साल से मां बनने की जद्दोज़हद में जुटी मंगाम्मा ने IVF की मदद से 74 साल की आयु में जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।

हरियाणा का रिकार्ड आंध्र में टूटा

आंध्रप्रदेश के गुंटूर में गुरुवार सुबह 10.30 बजे 74 वर्षीय मंगाम्मा ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। इन-व्रिटो-फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक से गर्भ धारण करने वाली मंगायम्मा ने अहल्या नर्सिग होम में जुड़वां बच्चों को जन्म दिया, तो यहां जश्न का माहौल बन गया। मंगाम्मा सर्वाधिक आयु में मां बनने का विश्वरिकॉर्ड बना दिया था। इससे पहले यह रिकार्ड भारत में ही 70 वर्षीय दलजिंदर कौर के नाम था। हरियाणा की दलजिंदर कौर ने 2016 में IVF से ही एक बच्चे को जन्म दिया था।

गुंटूर के अहल्या नर्सिंग होम में चार डॉक्टरों की टीम ने सिजेरियन सैक्शन से मंगाम्मा का प्रसव कराया। टीम का नेतृत्व करने वाले डॉ. उमाशंकर ने बताया कि मां और बच्चे दोनों स्वस्थ हैं, इनकी नियमित निगरानी की जा रही है।

इच्छा शक्ति से हुई 57 साल की साध पूरी

पूर्वी गोदावरी जिले के नेल्लापतीर्पाडू की रहने वालीं मंगायम्मा की शादी के 57 साल पहले वाई.राजा राव के साथ हुई थी। दांपत्य सामान्य था, लेकिन लंबे समय तक मंगाम्मा मां नहीं बन सकी थी। कुछ साल तो संयुक्त परिवार में मजे से बीत गए, लेकिन बाद में मंगाम्मा को मां न बन पाने का मलाल सालने लगा। पत्नी की पीड़ा समझ राजाराव ने विशेषज्ञों से सलाह लेना शुरू किया, लेकिन लंबे समय तक सफलता नहीं मिल सकी। अधिकांश डॉक्टर्स ने अधिक आयु का हवाला देते हुए असमर्थता जाहिर की।

और बन गया विश्वरिकार्ड

बीते साल अहल्या नर्सिंग होम के IVF विशेषज्ञों ने दंपति की मदद करने का निर्णय लिया, आखिरकार मंगाम्मा की संतानेच्छा को ईश्र्वर ने मान लिया, उसे जुड़वां बच्चों का आशीर्वाद मिला। जुड़वां संतानों को देख राजारव इतने सालों के अपमान व संघर्ष के बाद 9 महीने की परेशानियां को भूल गया। अस्पताल में भी इस सफलता का जश्न मनाया और इस उपलब्धि की सूचना रिकार्ड संस्थाओं की दी, उनके इस दावे को स्वीकार कर लिया गया है।

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