टोक्यो। जापान में मार्च 2011 में आए भीषण भूकंप और सुनामी से लगभग तबाह हुए फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के संचालक ने कहा कि संशोधित रेडियोधर्मी जल की दूसरी खेप को समुद्र में छोड़ने की प्रक्रिया शुरु की गई हैं। संशोधित रेडियोधर्मी जल की पहली खेप को समुद्र में छोड़ने की प्रक्रिया सुचारू रूप से समाप्त हो गई जिसके बाद दूसरे चरण की प्रक्रिया शुरू की गई है। संयंत्र के संचालक ‘तोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी होल्डिंग्स’ (तेपको) ने कहा कि कर्मचारियों ने संशोधित रेडियोधर्मी जल को समुद्र में छोड़ने के लिए एक पंप चालू कर दिया।

शोधित जल को समुद्र में छोड़ने की प्रक्रिया दशकों तक चलने की संभावना है। इस योजना का मछुआरा समुदाय और दक्षिण कोरिया सहित पड़ोसी देशों ने काफी विरोध किया है। जापान के मछुआरा समुदाय ने इस योजना का यह कहते हुए विरोध किया था कि इससे ‘सीफूड’ की साख गिरेगी। चीन ने जापान से ‘सीफूड’ के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे जापानी ‘सीफूड’ उत्पादकों तथा निर्यातकों को काफी नुकसान हो रहा है। संयंत्र ने सबसे पहले 24 अगस्त को संशोधित रेडियोधर्मी जल को समुद्र में छोड़ने की प्रक्रिया शुरू की थी और यह 11 सितंबर को समाप्त हुई थी। तेपको ने बताया कि 10 टैंकों से 7,800 टन शोधित जल समुद्र में छोड़ा। दूसरे चरण में उसकी 17 दिन में 7,800 टन शोधित जल प्रशांत महासागर में छोड़ने की योजना है। संयंत्र में करीब 1,000 टैंकों में लगभग 13.4 लाख टन रेडियोधर्मी जल रखा है।

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