ओटावा। कनाडा के मंसूबे उस वक्त ध्वस्त हो गए जब खालिस्तानी आतंकियों का समर्थन करने की कोशिश करते हुए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो गए। बता दें कि भारत से रिश्ते खराब होने और पूरी दुनिया में आलोचनाओं से घबराए ट्रूडो ने पहले तो भारत से बातचीत की पेशकश की और जब भारत ने जवाबी ऐक्शन में उसके 40 राजनयिकों को देश निकाला दिया तो फिर ट्रूडो बौखला गए। अब उन्होंने एक तरफ अपनी विदेश मंत्री को भारत से प्राइवेट में बात करने की मिन्नतें करने के लिए आगे किया है तो दूसरी तरफ अपने खासम खास सांसद सुख धालीवाल को मारे गए खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के सरे स्थित गुरुद्वारे में चुपचाप भेज दिया। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि लिबरल पार्टी के सांसद धालीवाल ने खालिस्तान पर सिखों का समर्थन हासिल करने के लिए रविवार को सरे के गुरुद्वारे का दौरा किया था। यही गुरुद्वारा भारत और कनाडा के बीच राजनयिक तनाव का केंद्र बना हुआ है।
माना जा रहा है कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या और भारत-कनाडा के बीच खराब हुए रिश्तों के संबंध में धालीवाल ने खालिस्तान समर्थक सिखों से चर्चा की और उसे अपना समर्थन देने का वादा किया है। इसी गुरुद्वारे की पार्क में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कर दी गई थी। वह इस गुरुद्वारे का अध्यक्ष था। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि धालीवाल ने 2019 में भी निज्जर से मुलाकात की थी, जब उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। इंटेलीजेंस सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रूडो के करीबी सहयोगी सुख धालीवाल ने निज्जर को कनाडा में अपना नेटवर्क स्थापित करने में भी मदद की थी। बता दें कि धालीवाल ने अपने के संसदीय क्षेत्र सरे के एक गुरुद्वारे में ही निज्जर को शरण दिलाई थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आतंकी हरदीप सिंह निज्जर जो खालिस्तान टाइगर फोर्स का मुखिया था, वह नो फ्लाई लिस्ट में था लेकिन धालीवाल ने कनाडा में उसके लिए स्थाई निवास की व्यवस्था भी की थी। धालीवाल कनाडा की इमिग्रेशन कमेटी का अध्यक्ष भी है। सिखों के विशाल समर्थन की वजह से ही जस्टिन ट्रूडो ने धालीवाल को यह पद दे रखा है।