आम आदमी पार्टी (AAP) ने इसका विरोध करते हुए 12 पन्नों में अपना पक्ष चुनाव आयोग को सौंपा था। जैस्मिन शाह ने कहा, ‘वन नेशन वन इलेक्शन भारत के लोकतंत्र के लिए खतरनाक पहल है। भाजपा जब वन नेशन वन इलेक्शन की बात करती है तो सिर्फ इतना कहती है कि इससे बहुत फायदा होगा। सारे चुनाव साथ होंगे तो जनता का पैसा बचेगा। लेकिन इसकी बारीकी पर चर्चा नहीं करती है। आम आदमी पार्टी ने लॉ कमीशन ने के ड्राफ्ट रिपोर्ट को बढ़ा है और 12 पेज का लेटर चुनाव आयोग को सौंपा है इसका विरोध करते हुए।’
शाह ने कहा आगे कहा, ‘सबसे बड़ी मुसीबत है कि कानून ऐसा होगा कि 5 साल के बीच में कभी भी चुनाव नहीं होंगे। मान लीजिए एक गठबंधन की सरकार बनती है और एक पार्टी पीछे हो जाती है तो आज की तारीख में सरकार गिर जाती है और जनता के पास दोबारा वोटिंग का मौका होता है। इस कानून के तहत यह होने वाला है कि यदि किसी गठबंधन की सरकार गिरती है तो जो विधायक हैं जिनको जनता ने चुना है वह आपस में फैसला कर लेंगे कि किस नई पार्टी या किसको मुख्यमंत्री बनाना है। इसका मतलब है कि आज जो दलबदल कानून देश में लागू है वह खत्म हो जाएगा। विधायकों और सांसदों की खरीद-फरोख्त होगी।’
18-22 सितंबर तक बुलाए गए संसद के विशेष सत्र को लेकर जारी अटकलों के बीच सरकार ने शुक्रवार को ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर समिति का गठन किया गया। विपक्षी दलों ने इस विचार का विरोध किया है। आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि यह ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत विपक्षी दलों की एकता देखने के बाद सत्तारूढ़ दल में ‘घबराहट’ को दर्शाता है। उन्होंने कहा, ‘पहले उन्होंने एलपीजी की कीमतें 200 रुपये कम कीं और अब घबराहट इतनी है कि वे संविधान में संशोधन करने के बारे में सोच रहे हैं। उन्हें एहसास हो गया है कि वे आगामी चुनाव नहीं जीत रहे हैं।