कोलंबो। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि द्वीपीय देश में अल्पसंख्यक तमिलों के जातीय मेल-मिलाप के जटिल मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए सभी राजनीतिक दलों को चर्चा में भाग लेना चाहिए क्योंकि संविधान के 13वें संशोधन (13ए) का पूर्ण क्रियान्वयन पूरे देश के लिए अहम है। विक्रमसिंघे मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आयोजित सर्वदलीय बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने भारत की यात्रा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ चर्चा करने के बाद यह बैठक बुलाई। राष्ट्रपति द्वारा बैठक सरकार के राष्ट्रीय सुलह कार्यक्रम और इसकी आगे की राह पर चर्चा के लिए बुलाई गई।

दिल्ली यात्रा से पहले, विक्रमसिंघे ने तमिल पार्टियों के साथ बैठक में सर्वदलीय सहमति के साथ श्रीलंकाई संविधान के 13वें संशोधन (13ए) को प्रांतों को पुलिस शक्ति दिए बिना पूर्ण रूप से लागू करने पर सहमति जाहिर की थी। मुख्य तमिल पार्टी ‘टीएनए’ और मुख्य विपक्षी दल समागी जन बलवेगया (एसजेबी) सहित ज्यादातर विपक्षी दलों ने बैठक में हिस्सा लिया। कुछ दलों ने बैठक को विक्रमसिंघे की राजनीतिक नौटंकी बताया था। राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने कहा कि 13(ए) का पूर्ण क्रियान्वयन पूरे देश के लिए अहम है इसलिए सभी राजनीतिक दलों को वार्ता में भाग लेना चाहिए।

सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के मामले में ऐसा प्रतीत होता है कि श्रीलंका का विपक्ष बंटा हुआ है। राष्ट्रीय सुलह पर सर्वदलीय बैठक में भाग लेने के लिए संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले सभी राजनीतिक दलों और स्वतंत्र समूहों के नेताओं को निमंत्रण दिया गया, इनमें से कुछ विपक्षी नेताओं ने दावा किया है कि इस बैठक के एजेंडे के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है।

 

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