जोहांसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में ब्रिक्‍स देशों के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) सम्‍मेलन में भारतीय जेम्‍स बॉन्ड के तौर पर मशहूर अजित डोभाल ने चीन के वांग यी से मुलाकात की। वांग, चीन की कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी में सीनियर अधिकारी हैं। साथ ही साथ विदेश मामलों के लिए बने कमीशन के मुखिया भी हैं। चीन के पूर्व विदेश मंत्री रहे वांग को जानकार राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग का करीबी कहते हैं। वांग के साथ मुलाकात में डोभाल ने उन्‍हें स्‍पष्‍ट कर दिया कि वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जो स्थिति है उसकी वजह से आपसी भरोसा कम हुआ है। वांग ने भी डोभाल से दोनों देशों के बीच रिश्‍तों को स्थिर करने की बात कही। इसके जवाब में डोभाल ने दोनों देशों के आपसी हितों का जिक्र किया।

एनएसए डोभाल ने दो टूक कहा कि जब तक एलएसी के लद्दाख सेक्टर में शांति बहाल नहीं होती तब तक संबंध सामान्य नहीं हो सकते। यह मीटिंग 14 जुलाई को जकार्ता में आसियान संगठन के विदेश मंत्रियों की मीटिंग से 10 दिन बाद हुई है। उस समय भी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वांग से मुलाकात की थी। सीमा विवाद की वजह से भारत-चीन संबंध छह दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।

विदेश मंत्रालय की ओर से डोभाल और वांग की मीटिंग पर जानकारी दी गई है। मीटिंग के दौरान डोभाल ने कहा कि साल 2020 के बाद से ही भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर स्थिति ने रणनीतिक विश्‍वास और रिश्ते के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को खत्म कर दिया है।

चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से भी वांग यी के बयान का रीडआउट जारी किया गया है। यी ने डोभाल से कहा है कि ऐसी नीतियों को निर्धारित किया जाए जिससे आपसी भरोसे का निर्माण हो। साथ ही आपसी सहयोग पर भी ध्‍यान दिया जाना चाहिए। वांग ने कहा कि दोनों पक्षों को दोनों राष्‍ट्राध्‍यक्षों की तरफ से लिए गए रणनीतिक निर्णय का पालन करना चाहिए। इसके तहत स्‍पष्‍ट किया गया था कि चीन और भारत कोई खतरा नहीं हैं बल्कि एक-दूसरे के लिए विकास के अवसर प्रदान करते हैं।

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