मुंबई : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की लड़ाई अब चुनाव आयोग तक पहुंच गई है। पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने बर्खास्त ‎किए 9 ‎‎विधायकों की जानकारी ईसी को देकर कार्रवाई की मांग की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार को पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार का गुट इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग पहुंच गया। बताया जा रहा है कि शरद पवार खेमे ने हाल की गतिविधियों की जानकारी चुनाव आयोग को दी है। हाल ही में शपथ लेकर महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने वाले एनसीपी के 9 विधायकों को बर्खास्त करने के बारे में भी आयोग को पार्टी की तरफ अवगत किया गया है। जा‎हिर है ‎कि शरद पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जबकि पार्टी ने सभी विधायकों को व्हिप जारी कर बुधवार को मुंबई में एक महत्वपूर्ण बैठक में उपस्थित रहने को कहा है। वहीं, महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी समूह ने भी यहां पार्टी विधायकों की अलग से एक बैठक बुलाई है।

शरद पवार नीत राकांपा के मुख्य सचेतक जितेन्द्र आव्हाड ने एक पंक्ति वाले इस व्हिप में कहा कि पवार ने पांच जुलाई को वाई. बी. चव्हाण सेंटर में अपराह्न एक बजे बैठक बुलाई है और सभी विधायकों की उपस्थिति अनिवार्य है। अजित पवार के शिवसेना- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में आठ अन्य विधायकों के साथ रविवार को शामिल होने के बाद शरद पवार ने आव्हाड को मुख्य सचेतक नामित किया है। उधर अजित पवार खेमे ने भी मंगलवार को सभी वर्तमान तथा पूर्व विधायकों, सांसदों, पदाधिकारियों, कार्य समिति के सदस्यों और अन्य को एक नोटिस जारी किया, जिसमें उन्हें समूह द्वारा नियुक्त महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष सुनील तटकरे द्वारा उपनगरीय बांद्रा में एमईटी संस्थान परिसर में बुधवार को बुलाई बैठक में शामिल होने को कहा गया है।

इधर शरद पवार गुट ने दावा किया है कि सरकार में शामिल अजित पवार सहित केवल नौ विधायकों ने ही पाला बदला है और बाकी शरद पवार के साथ हैं। राकांपा ने विधानसभा के अध्यक्ष नार्वेकर के समक्ष एक आवेदन दाखिल किया है, जिसमें अजित पवार और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले आठ अन्य विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है। 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में राकांपा के 53 विधायक हैं और अजित पवार गुट को दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराए जाने से बचने के लिए कम से कम 36 विधायकों का समर्थन चाहिए। अजित पवार गुट ने 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया है।

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