बर्लिन। रूस-यूक्रेन जंग के बीच नाटो देशों की एयरफोर्स अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास करने जा रही है। ये युद्धाभ्यास 12 जून से शुरू होगा। इसे एयर डिफेंडर-23 नाम दिया गया है। दस दिनों तक चलने वाली मिलिट्री एक्सर्साइज में 25 नाटो देशों के 220 मिलिट्री एयरक्राफ्ट हिस्सा लेंगे। अमेरिका और जर्मनी के अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी है।

इस युद्धाभ्यास पर अमेरिका में जर्मनी की राजदूत ने कहा कि हम इसे केवल अपने बचाव के नजरिए से कर रहे हैं। हालांकि, इससे रूस जैसे देशों का कड़ा संदेश देना भी हमारे मकसद में शामिल है। जर्मनी की राजदूत एमी गुटमन ने कहा कि अगर कोई वल्र्ड लीडर (पुतिन) हमारे युद्धाभ्यास को इग्नोर करेगा तो मुझे हैरानी होगी। हम दुनिया को अपने संगठन की ताकत दिखाएंगे। युद्धाभ्यास जर्मनी, चेक रिपब्लिक, एस्टोनिया और लातविया में होगा। इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। सभी 25 देशों की वायु सेनाएं अपने हथियारों और विमानों को दुनिया के सामने पेश करने के लिए तैयार कर रही हैं।

पिछले हफ्ते जेलेंस्की ने नाटो में शामिल होने की अपनी मांग को दोहराया था। जेलेंस्की ने कहा था- यूक्रेन नाटो का सदस्य बनने के लिए तैयार है। हम सदस्य देशों से इस पर बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने ये भी कहा था कि जब सिक्योरिटी की गारंटी नहीं होती तो वहां केवल जंग की गारंटी होती है। दरअसल, जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका जंग के दौरान यूक्रेन को नाटो संगठन में शामिल करने को तैयार नहीं है। इन देशों को चिंता है कि ऐसा करने पर रूस की नाराजगी और बढ़ेगी।

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