लंदन। इस साल एलिजाबेथ द्वितीय के निधन और शोक-समारोह के तुरंत बाद से किंग चार्ल्स के राज्याभिषेक की तैयारियां शुरू हो गईं। 6 मई को चार्ल्स आधिकारिक तौर पर ब्रिटेन के राजा बन जाएंगे। ये राज्याभिषेक कोई मामूली बात नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ा समारोह है। इस दौरान राजा-रानी को क्राउन पहनाया जाता है, और दर्शक गॉड सेव द किंग के नारे लगाते हैं। इस भव्य आयोजन पर करोड़ों रुपए खर्च होने वाले हैं, इस लेकर लोग इस बार परेशान हो रहे हैं।
असल में ब्रिटेन में कई दशकों बाद खाने की कीमतों में सबसे बड़ा उछाल आया है। पूरा देश महंगाई से जूझ रहा है। यहां तक कि नौबत ये आ गई कि लोग अपने खाने के लिए फूड बैंक पर निर्भर हो गए हैं। ये फूड बैंक कुछ चैरिटी संस्थाएं चलाती हैं। पहले ये फूडबैंक होमलेस लोगों और बच्चों तक खाना पहुंचाया करते थे, लेकिन अब आम लोग तक खाने पीने के लिए फूड बैंकों तक पहुंच रहे हैं। जब पूरा देश बदहाली से जूझ रहा है, तभी किंग का राज्याभिषेक होने जा रहा है। अनुमान है कि ताजपोशी में लगभग सौ मिलियन पाउंड (10 अरब 27 करोड़ 46 लाख 10 हजार 7 सौ 40 रुपए) का खर्च आएगा। चूंकि ये समारोह देश की जिम्मेदारी है, तब इसका खर्च भी करदाता उठाएंगे। इससे पहले साल 1953 में क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी में ब्रिटिश सरकार ने लगभग डेढ़ मिलियन पाउंड खर्च किए थे। ये आज के हिसाब से 50 मिलियन पाउंड के करीब है, यानी सवा पांच सौ करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
टैक्सदाताओं की परेशानी रॉयल फैमिली की नजर में है। इस कारण राज्याभिषेक का आयोजन करने वाली कमेटी ऑपरेशन गोल्डन ऑर्ब ने इस बारे में कई बातें साफ कीं। उनका कहना है कि समारोह को काफी छोटा बनाने की कोशिश की जाएगी, लेकिन सुरक्षा पर खर्च करना ही होगा। असल में पूरा प्रोसेस कई घंटे लंबी होगी, जिसमें 2 हजार से ज्यादा मेहमान आएंगे। इसके बाद सुरक्षा बड़ा मुद्दा हो सकता है। ये भी तर्क दिया जा रहा है कि करदाताओं पर उतना बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि ताजपोशी का समारोह टीवी पर दिखाया जाएगा। इसका सारा अधिकार ब्रिटिश सरकार के पास होगा। इसके अलावा टूरिज्म भी बढ़ेगा। दूसरे देश से आ रहे लीडर्स के अलावा बहुत से आम लोग भी अभिषेक देखने या कवर करने आएंगे। इसके लिए काफी पहले से होटल भी बुक होने लगे हैं। एक अंदाज है कि इससे जो पैसे आएंगे, वहां हजार करोड़ रुपयों से कहीं ज्यादा होगा और टैक्सपेयर्स उतनी तकलीफ में नहीं रहेगा।
लेकिन फिलहाल ये सिर्फ एक अनुमान है। ब्रिटेन का ये समारोह यूरोप और लगभग पूरी दुनिया में अपनी तरह का अनोखा और सबसे भव्य समारोह है। लगभग हजार सालों से इसमें एक जैसी रस्में होती आईं हैं। बस, हर बार मेहमानों की संख्या और लिस्ट बदल जाती है। इस दौरान किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला घोड़े से चलने वाले रथ पर लगभग 40 मिनट तक एक से दूसरे पॉइंट तक चलने वाले हैं। ये मॉडर्न रथ होगा, जिसका ज्यादा कंट्रोल मैनुअल होगा। इसमें इलेक्ट्रिक विंडो और एसी भी लगा होगा। पैलेस पहुंचने पर किंग को 700 साल पुरानी कुर्सी पर बैठाया जाएगा, जिसके बाद पवित्र जल से उनका अभिषेक होगा और ताज पहनाया जाएगा।
इस दौरान 7 अलग-अलग तरह की धुनें बजेंगी और सेना सलामी देगी। ये 17वीं सदी का सेंट एडवर्ड क्राउन है, जो सॉलिड गोल्ड से बना हुआ है। लगभग ढाई किलो वजन का ये मुकुट आम मौकों नहीं, सिर्फ राज्याभिषेक के दौरान पहना जाता है, जो कि प्रतीकात्मक होता है। इसके बाद मुकुट को सहेजकर रख दिया जाता है। इसके अलावा एक और मुकुट होगा, इस इंपीरियल स्टेट क्राउन कहते हैं। ये ताजपोशी के आखिर में पहना जाएगा। यहीं वहां क्राउन है, जिसे किंग कई बार पहनने वाले हैं। खासकर जब वे बकिंघम पैलेस की बालकनी में आएंगे, उनके सिर पर यहीं ताज होगा। यह भी सोने से बना है, जिसमें ढाई हजार से ज्यादा हीरे, लगभग 3 सौ मोती, 4 रूबी और बहुत से कीमती जवाहरात जड़े हुए हैं। इस दौरान उन्हें क्वीन मैरी का ताज पहनाया जाएगा। अब तक ये क्राउन टावर ऑफ लंदन में प्रदर्शनी के लिए रखा हुआ था, लेकिन फिलहाल सेरेमनी के लिए उस यहां से हटाया गया है। ये कीमती मुकुट राजनैतिक तौर पर काफी दमदार माने जाते हैं। यहां तक कि इन्हें छूने का अधिकार भी दुनिया में सिर्फ तीन लोगों को है, वर्तमान राजा-रानी, आर्कबिशप ऑफ केंटरबरी और रॉयल क्राउन ज्वेलर्स। ज्वेलर्स तय लोग होते हैं, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी रॉयल फैमिली की ज्वेलरी से ही डील करते हैं। ताजपोशी से पहले क्राउन को एडजस्ट करने का काम भी इनका होता है।