इस्लामाबाद। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि उनकी भारत यात्रा शंघाई सहयोग संगठन परिषद की बैठक में एससीओ के चार्टर के प्रति इस्लामाबाद की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इसे द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। इस कार्यक्रम के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह अगले महीने गोवा में होने वाली विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करेंगे।

भुट्टो-जरदारी ने कहा, हम एससीओ चार्टर के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस यात्रा को द्विपक्षीय यात्रा के रूप में नहीं बल्कि एससीओ के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भुट्टो-जरदारी गोवा में 4-5 मई को होने वाली एससीओ विदेश मंत्रियों (सीएफएम) की बैठक में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। यह 2014 के बाद में किसी भी पाकिस्तानी नेता द्वारा भारत का पहला दौरा होगा।

 

पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने 2011 में भारत का दौरा किया था। मई 2014 में, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए भारत आए थे। वहीं, बिलावल के दौरे को लेकर भारत ने कहा कि बैठक में हिस्सा लेने के लिए सभी सदस्य देशों को न्यौता भेजा गया है और किसी एक देश की भागीदारी पर ध्यान देना उतना उचित नहीं होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा कि हम इस बैठक के काफी सफल होने की अपेक्षा करते हैं। लेकिन किसी एक देश की भागीदारी पर ध्यान देना उतना उचित नहीं होगा। फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत के लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट कर दिया था, जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए थे। अगस्त 2019 में भारत ने जम्मू- कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था, जिसके बाद दोनों देशों के संबंधों में और कड़वाहट पैदा हो गई।

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